Tuesday, February 11, 2014

गढ़वाली कविता - बाटू

“ बाटू ”

बाटू,
टेढू-मेढू बाटू,
कखी उकाल, कखी उंदार,
कखी सैणु, कखी धार-धार।

बाटू,
कु होलू जाणु,
क्वी जाणु च अबाटू,
त क्वी लग्युं च सुबाटू।

बाटू,
जाणु चा बटोई,
क्वी हिटणु यखुली,
त क्वी दगिड्यों दगिडी।

बाटू,
पैंट्यां छन देखा,
क्वी च मैत आणु,
त क्वी परदेश च जाणु।

बाटू,
वै जै ‘अनूप’ ब्वनु,
जख बल मनख्यात हो,
सुकर्म मा दिन रात हो।

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ०२-०२-२०१४ (इंदिरापुरम)

बिज़ी रयुं सैरी रात

:: गढ़वाली गीत ::

बिज़ी रयुं सैरी रात, सुवा तेरो ख्याल मा.
सोची छौ नि लगौणी, फंसिग्युं मायाजाल मा..

- गीत जारी है .....

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ३१-०१-२०१४ (इंदिरापुरम)

हिंदी शायरी - Garhwali Indian

कभी-2 हम भी कलम चला लेते हैं।
बस दिल की भावनाओं को,
कागज पर उकेर लेते हैं।।

- अनूप सिंह रावत (28-01-14)