कतगा दा
बोली त्वेकु
तिन स्वीणु मा
नि आणू..
अर जब
ऐ भी जांदी
त मिथे
तिन अपड़ी
मिठी-२ छुयों मा
नि अलझाणु..
ब्याली रात फिर
तेरी छुयों मा
खोयों रौं मी
मयाली बातों मा
अलिझे ग्यों मी
अर फतम !!
भंया पोडि ग्यों..
तू त बिचारि
टुप्प सियीं रै होलि
अर मी सरि रात
दर्द से म्वरुणु रौं
तेरा माया कु रोग
निरभै बिजी रौं.!!!
© अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक: 28-06-2017 (बुधवार)