Tuesday, February 1, 2011

ल्यखना कु ज्यूँ ब्वानु चा




" ल्यखना कु ज्यूँ ब्वानु चा "

कागज कलम थामी हाथ्युं मा, कुछ ल्यखना कु ज्यूँ ब्वानु चा।
बीती बिसरी यादों थै आज, शब्दों मा पिरोणा कु ज्यूँ ब्वानु चा।

कभी बचपन मा मांजी छैयी लोरी सुणान्दी।
दादा बाजार बीटिं मीठी गोली ल्यांदा छाया।
दादी महाराजाओं कि कहानी
छै सुणान्दी

फिर शुरू करी स्कूल का दिन हमन
पाटी ब्वाल्ख्या लेकी जख जांदा छाया
जख बटी कुछ सिखुनु शुरू करी हमन

फिर दयाखादा- इंटर पास कैरी याली
झणी कतगा गरु भारू मुंड मकी धोलियाली
अब जिंदगी कि रेस मा हिटन याली

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत

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