मेरा मुल्क बणों मा आग लगी च
पौन पंछ्युं मा हाहाकार मची च..
हैरा भैरा डांडा लाल बण्या छन
डाली बोटी देखा सभ्या जलना छन
कुयेडी लौंकणी छै जौं डांड्यों मा
धुंआ ही धुंआ हुयों च उ डांड्यों मा
ग्वरेलों का गीत, घसेन्यों की दथुड़ी
ख्वेगे कखी, अर वख आग भभकणी
जान बचायी के चखुलों ता उडी गैनी
पर अंडा, फतल्या, घोल जैली गैनी
जंगली गोर भी कना भजणा छन
घास छोड़ी की ढुंग्यों मा चढ़णा छन
जौंमा छन जिम्मेदारी उ सियां छन
आग मुल्क का लोग बुझौणा छन
चला दगिड्यो बणों थैं हम बचौंला
बणों मा आग थैं हम भी बुझौंला.
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक - १३-०६-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Wednesday, June 13, 2012
बणों मा आग
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