Sunday, February 10, 2013

::: गढ़वाली शायरी :::


प्रीत लगै पर डोर तोड़ी ना.
बीच धार मा हाथ छोड़ी ना.
होला कैई वैरी प्रीत का यख,
पर दगिड्या मुख मोडी ना..

© अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक १०-०२-२०१३ (इंदिरापुरम)

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