प्रीत लगै पर डोर तोड़ी ना. बीच धार मा हाथ छोड़ी ना. होला कैई वैरी प्रीत का यख, पर दगिड्या मुख मोडी ना.. © अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक १०-०२-२०१३ (इंदिरापुरम)
Post a Comment
No comments:
Post a Comment