शीर्षक : पहाड़ और जीवन
लेख : अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
“पहाड़” शब्द का नाम सुनते ही मन मे तरह-२ की कल्पनाएं घर करने लगती हैं. पहाड़ के नाम से ही मन रोमांचित हो जाता है. मन में पहाड़ों की सुंदरता के ख्याल आने लगते हैं, वहां के हरे-भरे पेड़-पौधों और रंग-बिरंगे फूलों के चित्र मन में उमड़ने लगते हैं. जो कि मन को शांति पहुंचाते हैं. शहरों से लोग पहाड़ों की ओर अक्सर लोग निकल भी पड़ते हैं, शांति की खोज में, क्योंकि वहां का वातावरण है ही ऐसा कि जब लगे कि मन को शांति की जरूरत है तो सबसे पहले पहाड़ का ही खयाल आता है. पहाड़ दिखने में जितने सुंदर लगते हैं, ठीक उसके विपरीत वहां का जीवन बहुत ही कठिन है. जो लोग वहां सैर सपाटे के लिए आते हैं उनको तो होटलों में रहना होता है, जो कि अच्छी जगहों पर स्थित हैं. परन्तु पहाड़ के अधिकतर लोग बाज़ार और सड़क से दूर रहते हैं. जहाँ पर मूलभूत सुबिधाएं पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हैं.
इन्ही खूबसूरत पहाड़ों के बीच वहां के लोग अपनी कठिन जिंदगी से रोज जद्दोजहद करते हैं. पहाड़ की जिंदगी में सबसे कठिन परिस्थिति नारी की है. वर्तमान समय में हालाँकि पहले के अनुरूप अब पहाड़ों में जीवन थोडा आसान हो गया है. किन्तु पहाड़ की नारी आज भी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इन पहाड़ों से जद्दोजहद में लगी रहती है. नारी ही है जो बहुत से लोगों के लिए यहाँ प्रेरणा का स्रोत भी है. क्योंकि पहाड़ में उसे अपनी जरूरतों का अधिकांश सामान प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त करना होता है. उसे जहाँ पशुओं के चारे और लकड़ियों के लिए जंगलों में जाना पड़ता है, तो पानी के लिए भी दूर प्राकृतिक स्रोतों पर जाना पड़ता है. हालांकि कई गावों में अब पानी पहुँच चुका है. खेतों में यहाँ पर अधिकांश काम नारी को ही करना पड़ता है. यहाँ खेती-बाड़ी भी वर्षा पर निर्भर है, जिससे कई बार बारिश न होने के कारण नुकसान हो जाता है और अनाज में कमी हो जाती है. हालांकि बाज़ार में अनाज उपलब्ध होता है परंतु लोगों को बाज़ार से भी अनाज पैदल ढोकर लाना पड़ता है. क्योंकि पहाड़ में रास्ते भी काफी उबड़-खाबड़ हैं. परंतु अब लोगों ने इनसे नाता जोड़ लिया है. चाहे इसे मजबूरी कहा जाए या आदत.! पहाड़ की सबसे बड़ी समस्या यहाँ पर रोजगार की मात्रा में कमी है, जो कि पहाड़ के लिए एक अभिशाप भी है. इसी कारण यहाँ के अधिकांश पुरुष रोजगार की तलाश में पहाड़ से दूर शहरों की ओर चले जाते हैं. जो कि त्योहारों और अन्य सार्वजनिक कार्यों में ही पहाड़ आ पाते हैं. जिससे घर-परिवार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी घर की नारी पर आ जाती है. जिसे वह सदियों से निभाती आ रही है. नारी की महानता यहाँ काफी देखने को मिलती है, क्योंकि इतनी कठिन जिंदगी के बाबजूद उसके माथे पर सिकन तक नहीं आती है. जरूर अपनों से दूरी कभी-कबार उसे रुला देती है, मगर उसका असर वह अपने जीवन पर नहीं पड़ने देती और यूं ही भाग दौड़ मे लगी रहती है.
पहाड़ में जीवन की हर आवश्यक वस्तुओं के लिए दूर जाना पड़ता है. यहाँ पर विद्यालय भी काफी दूर-२ हैं. जिसके कारण दूर दराज के लोग अपनी लड़कियों को पढने के लिए नहीं भेज पाते हैं. विद्यालय की दूरी से ज्यादा इसका कारण गरीबी है. क्योंकि यहाँ के लोगों को कई बार प्राकृतिक आपदाओं का भी सामना करना पड़ता है, जो कि यहाँ के लोगों का जीवन कई वर्ष पीछे धकेल देता है. जिसके कई उदारहण हमारे सामने हैं. पहाड़ के लोगों को यहाँ की सरकार की ओर से पर्याप्त सुबिधाएं नहीं मिल पा रहीं हैं. जिसके कारण आज पहाड़ के कई परिवार यहाँ से पलायन भी कर चुके हैं. यह भी पहाड़ के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है. पहाड़ की जनसँख्या में अधिकांश महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे हैं. यहाँ की नारी इन सभी समस्याओं से लड़ती हुई अपने बच्चों और परिवार के भरण-पोषण में लगी हुई है.
पहाड़ में अभी भी स्वास्थ्य सेवाएं ठीक से उपलब्ध नहीं हैं, जिसके कारण यहाँ के लोगों को अपना इलाज करवाने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है और गंभीर बीमारी में तो शहरों की ओर दौड़ना पड़ता है. जिस कारण कई बार दुर्घटनाएं भी घटित हो जाती हैं और उसका मूल्य जीवन के रूप में चुकाना पड़ता है. सरकार को इस विषय में ध्यान देना चाहिए और यहाँ के निवासियों के लिए ये सुबिधाएं उपलब्ध करवानी चाहिएं. हालांकि बार-२ चुनाव के वक्त वादे किए जातें हैं किन्तु पूर्ण नहीं किए जाते हैं. आजकल कई लोग अपनी जरूरतों की मांग उठा भी रहें हैं. अब देखने वाली बात होगी कि उनकी उम्मीद और मागें कब तक पूर्ण होंगीं.!
आज वर्तमान युग भौतिकवाद का युग है, जिससे जहाँ सुबिधाएं बढ़ी हैं तो जीवन का मूल्य भी बढ़ गया है. पहले लोग अपनों की खबर के लिए डाक पर निर्भर थे तो आज वहीँ फ़ोन जैसी सुबिधा भी उपलब्ध हो गयीं हैं, जिससे कम से कम सुख दुःख में अपनों से जल्दी संपर्क हो जाता है. यहाँ पर लोग पूरे गाँव को अपना परिवार ही मानते हैं और हर काम-काज में एक दूसरे का हाथ बांटते हैं. यही कारण है जिसके कारण यहाँ के कठिन जीवन में भी लोग अपना जीवन जीते आ रहें हैं. पहाड़ लोग यहाँ के जीवन से जद्दोजहद करते हुए लगभग आज हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रहें हैं. जहाँ अधिकांश पुरुष सेना में अपनी सेवाएं दे रहें हैं, जो की पहाड़ में रोजगार का भी मुख्य जरिया है. उनकी बहादुरी और उनका समर्पण इसे रोजगार के साथ-२ उन्हे देश की सेवा का भी मौका देता है.
पहाड़ की संस्कृति और यहाँ का जीवन इसे अन्य क्षेत्रों से अलग प्रदर्शित करता है. यहाँ की सांस्कृतिक विरासत का एक लंबा इतिहास रहा है. यहाँ के इतिहास से यहाँ की नारी शक्ति और यहाँ के रणबांकुरों की कुर्बानी और वीरगाथाएं का पता चलता है. जो कि यहाँ के नौजवानों और आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं. यहाँ के लोग काफी मृदुभाषी हैं, जिसके कारण यहाँ जो लोग घूमने आते हैं तो फिर बार-२ आते हैं. जिससे लोगों को रोजगार भी प्राप्त होता है और मेहमान नवाजी करने को भी मिलता है. जिससे यहाँ की संस्कृति का हस्तांतरण लगातार हो रहा है. प्रकृति ने यहाँ अपनी छटा बिखेरी है तो अब यहाँ पर यदि भौतिकवादी सुबिधाएं भी उपलब्ध हों जाए तो यहाँ का जीवन और भी सरल, सौम्य और खुशहाल हो जायेगा...
जय भारत – जय उत्तराखंड
© अनूप सिंह रावत “गढ़वाल इंडियन”
दिनांक – १३-०२-२०१५ (इंदिरापुरम)
Friday, February 13, 2015
लेख: पहाड़ और जीवन
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