हैंसणु-खेळणु, रूठणु-मनाणु, यनि माया की रस्यांण च। सुख-दुःख मा सदनी साथ, साँची माया की पछ्याण च।। © 30-05-16 अनूप सिंह रावत ग्वीन मल्ला, बीरोंखाल, पौड़ी (उत्तराखंड)
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