Wednesday, March 28, 2018
About Anoop Rawat by Bhishma Kukreti Ji
Anoop Singh Rawat: A Promising Garhwali Poet and a Blogger
(गढ़वाल, उत्तराखंड, हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग -236)
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(Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, Part ::)
By: Bhishma Kukreti (Literature Historian)
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Anoop Singh Rawat is one of the promising young Garhwali poets interested in taking Garhwali poetry on its zenith.
Anoop knows that in modern time, internet is one the most promising medium for promoting small population spoken language as Garhwali. That is the reason he started his own blog (Meru Muluk Meru Paran. www.iamrawatji.blogspot.in).
Anoop Rawat was born in Gween Malla, Khatali, Bironkhal of Pauri Garhwal in 1989. Anoop Rawat is post graduate and interested in digital media.
Humanity, Social reforms and Garhwal are major concerns for young Garhwali poet Anoop. He discusses Chakbandi, foeticide, development and many more subjects as love, philosophy, spirituality, patriotism.
हे गितांग दिदा जरा चकबंदी कु गीत लगै दे poem shows his concern for social and agriculture reforms in Garhwal hills.
His one of the best social concern poems is about foeticide -
कन्या भ्रूण हत्या पर कुछ पंक्तियाँ (गढ़वाली कविता भाग )
आणि दे वीं ईं दुनिया मा, जींणी दे वीं ईं दुनिया मा
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात
कुछ त डैर वे बिधाता से राखी ले मनख्यात
आज की दुनिया मा बेटी बेटा बराबर चा
ध्यान से देख फर्क नीचा कुछ भी द्वियु मा
टक्क लगे सुणी ले अनूप रावत कि या बात
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात
कुछ त डेर वे बिधाता से राखी ले मनख्यात
तीलू, रामी, गौरा ह्वेनी बड़ी-२ नारी
जौन करी काम यनु दुनिया दे तारी
छाया सभ्या यु भी रे मनखी नारी जात
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात
कुछ त डेर वे बिधाता से राखी ले मनख्यात
Anoop also creates humor and satire in his Garhwali poetry as under –
उन त मि
नौन्युं देखि
भारी सरमांदू छौं
पर कबि फेसबुक मा
जरा सि चैट कै देंदु…
Anoop Rawat uses lyrics, poems and Ghzals for his illustration.
It is clearly visible effects of Salani Garhwali dialects in poems by Anoop Rawat.
Anoop uses old Garhwali phrases (खैरी खांदा खांदा) and new phrases (फूल माला रिबन कटे उद्घाटन ह्वे गे) too for illustrating his poems.
There are mostly all types of images in the poems by Anoop. His uses of symbols make perfect images.
Poetry critic Dr. Manjula Dhoundiyal claims that Anoop has tremendous potentiality for Garhwali poetry world.
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
Tuesday, March 20, 2018
एक कवि सम्मेलन मा
एक कवि सम्मेलन मा
तब गजब ह्वे ग्याई
जब वूं ळ मिथे भि
मंच पर बुलै द्याई
हम त सुनणा कु गयां छाया
पर हम थैं अपड़ी कविता
सुणान कु ब्वले ग्याई …
पैलि त मी जरा डैरी ग्यों
पर तौं न हौंसला बढै
फेसबुक मा बल तुम
खूब कविता पोस्ट करदो
आज यखम भी सुणे द्यो
मिन भी फट्ट मोबेल म देखि
कविता सुणे द्याई ...
पैलि-२ दौं कविता पाठ कार
थोड़ा भौत गलती भि ह्वाई
लोगों थैं कविता पसंद आई
अर दगड़ा दगडि सभ्या
मंचासीन धुरंधर कविगणों ळ
निरंतर अगिन्या बढ़णा कु
आशीष मैं थैं दे द्याई ...
©® अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक: 20-03-2018 (मंगलवार)
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