भैर बटिन हैंसणा मन मा मैल भौत च
अपणों का दियां घौ दिल घैल भौत च
हमरू हैंसदु-खेलदु घार उजाड़ी गेनी
अर वों का घार मा चैल-पैल भौत च
हमुन त छक्वे प्रेम को कळ्यो बांटी
गौं गळ्या मा विरोध्यों छैल भौत च
तुम खावा अर सदनी खयां छक्वे कि
हम खुणि त प्रेम कु एक ठैळ भौत च
क्रीम पौडर लगै तुम चमकणा रावा
'अनूप' को त निरोगी सरैल भौत च
©® अनूप सिंह रावत
दिनांक: 19-03-2021
No comments:
Post a Comment