Wednesday, July 27, 2022

गढ़वाली गज़ल - कलम चलाणु छौं

 सुद्दी-मुद्दी मी बि कागज पर कलम चलाणु छौं, अपड़ी बोलि-भाषा मा आखरौं तैं गठ्याणु छौं।


रोजि-रोटी का बाना चलिग्यों मि दूर परदेश,
गढ़वळि गीत/कविता सूणी खुद मिटाणु छौं।

बड़ी मुश्किल से छुट्टी पास ह्वेगेन ऐंसु मेरि,
बग्वाळी कु भैलो खेलणु अपड़ा गौं जाणु छौं।

बरसों बिटिन छौं बनि-बन्या भाषी लोगों बीच
फिर भि अपड़ी मातृभाषा मा मि बच्याणु छौं।

वा स्वाणी बांद आँख्यों न सनकाणी च मिथै
अर मि वींकि माया मा गीत लगाणु छौं।

कै सुपिन्या देखि मिन अपणि ईं जिंदगी मा
जी-जां से तौं पूरा कनौ मी रेस लगाणु छौं।

- अनूप सिंह रावत
ग्वीन मल्ला, बीरोंखाल, गढ़वाल, उत्तराखंड
दिनांक - 23-07-2022 (शनिवार)

Monday, January 3, 2022

मिजाण चुनौ ऐंगी

मिजाण... चुनौ ऐगीं

देहरादून बास छाया जु

अचगाल वो गौं जनै ऐगीं


पांच साल वोन अफु

दै-दूध खूब सपोड़ी

बचीं छांछ हमथैं देगीं


वादों कs फंचा भोरि

लेकि आयां छन वो

गौं-गौं मs खूब बंटेगीं


जात-पात भै-बिरादरी

राजनीति कि जोड़-तोड़

ख़्वाळदार मs आग लगैगीं


फूल-माला पैनि, हाथ जोड़ि

कुर्सी कs बान, झाड़ू लेकि

सैकल, हाथी मs बैठि ऐगीं


जन्ता ज्वा जागिगे छै वीं

अपड़ी छुयों मs अळझे कि

यो कनु घंघतोळ कैगीं.???


© अनूप सिंह रावत, दिनांक: 03/01/2022

ग्वीन मल्ला, बीरोंखाल, गढ़वाल, उत्तराखंड