बिन त्यारा रूड़ी कु घाम सी,
तेरो आण से बसंत सी बहार।
बर्खौणी रै माया चौमास सी,
रुझुणु रौं मी, रौ माया कु बुखार।।
- अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक - 23-09-13 (इंदिरापुरम)
Monday, September 23, 2013
गढ़वाली शायरी - अनूप रावत
Friday, September 20, 2013
गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत
तू जून सी जुन्याली
तू जून सी जुन्याली।
घुघती सी तेरी सांखी।
ओंटिडी तेरी चुप रैन्दि।
प्रीत बिगांदी तेरी आँखी।
तेरा नाक नथुली।
स्वाणी गौला हंसुली।
स्वाणी माथा बिंदुली।
ह्युं सी तेरी दंतुडी।
आंछिर सी रूप तेरो।
जिया लूछी लीगो मेरो।
चित मन मा तू ही छै।
तू ही सुपिन्यों मा छै।
तेरु ही नौं छू जपणु।
बिन त्वे मन नि लगणु।
सांची प्रीत तेरी मेरी।
सरी दुनिया च देखणु।
सुपिन्या सच करी द्यूं।
त्वे फूलमाला पैने द्यूं।
सबका समिणी आज त्वे।
औ सुवा अपडी बणे द्यूं।।
© अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
17-09-2013 (इंदिरापुरम)
Thursday, September 5, 2013
गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत
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