Monday, September 23, 2013

गढ़वाली शायरी - अनूप रावत

बिन त्यारा रूड़ी कु घाम सी,
तेरो आण से बसंत सी बहार।
बर्खौणी रै माया चौमास सी,
रुझुणु रौं मी, रौ माया कु बुखार।।

- अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक - 23-09-13 (इंदिरापुरम)

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