Tuesday, September 2, 2014

गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत

छोड़ी की ईं दुन्यादारी थैं आज हम,
औ लठ्याली, माया कु घोळ बणोंला,
ईं माया बैरी दुन्या से चल दूर कखि,
स्वर्ग जनु सुंदर एक घर बणोंला।।

© अनूप सिंह रावत, दिनांक – 02-09-14
ग्वीन मल्ला, गढ़वाल (इंदिरापुरम)

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