Thursday, June 25, 2015
धन्यवाद तेरु रूड़ी
धन्यवाद तेरु रूड़ी,
त्यारा कारण परदेशी आई.
टुप द्वी दिनों कु ही सै,
अपड़ी देवभूमि भेंटे ग्याई...
धन्यवाद तेरु रूड़ी,
बाल बच्चों दगड़ी आई.
छुट्यों का बाना ही,
अपडू गौं मुलुक देखि ग्याई...
धन्यवाद तेरु रूड़ी,
ढोग्यां द्वार खोलि ग्याई.
चौक तिबारी साफ कैरी,
भैर भितर सब हेरी ग्याई...
धन्यवाद तेरु रूड़ी,
देवी देवतों सेवा लगे ग्याई.
हिंशोला-किन्गोड़ा, काफल, आडू,
सब्बी धाणी खै ग्याई...
धन्यवाद तेरु रूड़ी,
आपस मिंत्र भेंटी ग्याई.
दाना सयाणा देखि की,
परदेश का बाटा पैंटी ग्याई...
धन्यवाद तेरु रूड़ी,
इनि सदानी आंदी रैई.
मेरा भाई-बंधु थैं,
यनि पहाड़ बुलान्दी रैई...
©22-06-15 अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
ग्वीन मल्ला, बीरोंखाल, पौड़ी, उत्तराखंड
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