सुद्दी-मुद्दी मी बि कागज पर कलम चलाणु छौं, अपड़ी बोलि-भाषा मा आखरौं तैं गठ्याणु छौं।
रोजि-रोटी का बाना चलिग्यों मि दूर परदेश,
गढ़वळि गीत/कविता सूणी खुद मिटाणु छौं।
बड़ी मुश्किल से छुट्टी पास ह्वेगेन ऐंसु मेरि,
बग्वाळी कु भैलो खेलणु अपड़ा गौं जाणु छौं।
बरसों बिटिन छौं बनि-बन्या भाषी लोगों बीच
फिर भि अपड़ी मातृभाषा मा मि बच्याणु छौं।
वा स्वाणी बांद आँख्यों न सनकाणी च मिथै
अर मि वींकि माया मा गीत लगाणु छौं।
कै सुपिन्या देखि मिन अपणि ईं जिंदगी मा
जी-जां से तौं पूरा कनौ मी रेस लगाणु छौं।
- अनूप सिंह रावत
ग्वीन मल्ला, बीरोंखाल, गढ़वाल, उत्तराखंड
दिनांक - 23-07-2022 (शनिवार)