Monday, February 6, 2012

चल तू मेरा ढांगा रे

चल तू मेरा ढांगा रे
बैदे जरा द्वि फांगा रे

तेरी गुसैण आणि च
त्वेकू पींडू ल्याणि च
तेरु मेरु ख्याल रखद
व त मेरी स्याणि च

त्वी छै मेरु धन सारु
रोजगार त्वी छै म्यारू
तभी आण रे दवे दारु
तबि त हूण रे गुजारु

काम काज कु बगत
फिर बौडी की ऐगे रे
सारी पुन्गिद्यों मा हे
बै - बूते शुरू ह्वेगे रे

मी हल्या तू ब्वल्द
बांजा करि दे चल्द
अनाज हमन उगान
सरया दुनिया ब्वल्द

पुन्गिडी छं ऊँची नीचि
ढुंगी देखि की तू खींचि
नाज उगी जालु जब
फिर दयोंला वै सींचि

अनाज मेरु बाकी तेरु
हारू भारू हे घास सैरु
गैल्या सूण टक्क तू
सदनी कु साथ तेरु मेरु

चल तू मेरा ढांगा रे
बैदे जरा द्वि फांगा रे

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०६-०२-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

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