Tuesday, February 14, 2012

वेलेंटाईन डे पर हास्य कविता

सभी कहे इस को प्यार का दिन
कहें नही जी सकते हम तुम बिन

प्रीत की रीत ऐसी हो आयी
आज अपनी कल हो जाये परायी

आज एक तो कल दूसरी फँसायी
पसंद आयी तो साथ ले भगायी

चाँद तारे तोड़ने की करते हैं बात
रूठकर छोड़ देते हैं पल भर में साथ

इनको मतलब पता नही प्यार का
खेल समझते हैं इसे ये इकरार का

आज यह तो एक फैशन हो गया है
लवर नही तो इनको टेंशन हो गया है

भारतीय पर्वों से ज्यादा इसे मनाते
माँ बाप के मेहनत के रुपये हैं लुटाते

रीत अपनी छोड़कर दूसरी अपनायी
हे प्रभु यह प्रीत की रीत कैसी हो आयी

सर्वाधिकार सुरक्षित © iamrawat
अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड
दिनांक - १४-०२-२०१२ (मंगलवार)

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