साथ हमारू जन्मों जन्मों कु चा,
यनु च जनु माछी पाणी कु चा..
ऊंका दिल मा मी, उ मेरा दिल मा,
सरैल द्वी अर चितमन एक चा...
© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ३१-१०-२०१३ (इंदिरापुरम)
Thursday, October 31, 2013
गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत
Tuesday, October 29, 2013
चितमन तेरु ह्व़े सुवा मेरी
चितमन तेरु ह्व़े सुवा मेरी,
तू ही छै हे दुन्या सुवा मेरी.
होरी जपणा छन हरि राम,
अर मैं छौं जपणु तेरो नाम.
मोर पंख होर्युं कु किताब तीर,
मेरी किताब मा तेरी तस्वीर.
दगिडया पौंछि गैनी पोर धार,
अर मैं छौं बैठ्यों तेरो इंतजार.
मेरी माया न समझी तू खेल,
औ प्रीत लगोंला डाल्युं छैल.
सर्या गौं मुलुक तेरी मेरी हाम,
छोड़ दे डैर सुवा मेरु हाथ थाम.
जल्मों बिटिन बंधन तेरु मेरु,
गीत प्रीत का गालू जमानु सैरु.
© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – २९-१०-२०१३ (इंदिरापुरम)
Friday, October 25, 2013
गढ़वाली शायरी - Anoop Rawat
Friday, October 4, 2013
गढ़वाली शायरी - अनूप रावत
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