Sunday, July 27, 2014

गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत


मुल-मुल हैंसी की किलै भरमांदी.
छ्वी लगाणा कु तू बानु खुज्यांदी.
मन की मन मा किलै तू दबांदी.
प्रीत च त हे छोरी किलै नि बिंगांदी.

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
दिनांक – २७-०७-२०१४ (इंदिरापुरम)

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