न लगो तू मिठी-मिठी छ्वीं बता, तेरी छुयों मा अलिझे नि जों कखि. बौल्या समझुणु रों जमानु मिथे, अर मैं त्वैमा माया लगाणु रों कखि.. © अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन” दिनांक – ०४-०९-२०१३ (इंदिरापुरम)
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