गीत : बाजूबंद गीत गाणी हो
दाथुड़ी लेकि घासा कु जांदी,
ग्वरेल छोरों की बांसुरी सूणी,
स्वामी की खुद मा खुदेणी हो.
वा बैठी डाल्युं का छैल,
घास घसेन्यों का गैल,
बाजूबंद गीत गाणी हो ...
कै दिन मैना बीती साल,
स्वामी बौडी घार नि आया,
पापी नौकरी का बाना,
द्वी जनों कु बिछड़ो हुयुं च,
स्वामी राजी ख़ुशी रयां,
देवतों थैं वा मनाणी हो ...
वा यखुली पहाड़ मा,
ऊनि काम काज सार्युं कु,
ऊनि दुध्याल नौन्याल,
स्वामी का खातिर वींकी,
घ्यु की ठेकी भोरियाल,
तू हिकमत ना हारी हो ...
आंखी थकी बाटू देखि-२,
दिन याद मा धक्याणी,
बुढ्या सासु ससुर की सेवा,
अपडू ब्वारी धर्म निभाणी,
धन त्वेकू पहाड़ा की नारी,
रै सदानी सुहागिणी हो ...
बाजूबंद गीत गाणी हो ...
बाजूबंद गीत गाणी हो ...
© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ०३-०१-२०१५ (इंदिरापुरम)
Monday, January 5, 2015
गीत : बाजूबंद गीत गाणी हो
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