Friday, October 7, 2016
चलो दिल्ली
आप सभी स्नेहीजनों को अनूप रावत का प्यार भरा नमस्कार। आज फिर एक कविता लिखने की कोशिश की है, जो कि ताज़ा राजनीतिक हालातों पर एक व्यंग्य है। आपकी प्रतिक्रियाएं इस रचना पर आमंत्रित हैं।
चलो दिल्ली,
राजनीति के दांव-पेंच,
हम भी सीख आएं।
गुमनाम हैं अभी,
चर्चित चलो बन जाएं।।
झूठी हंसी का चोला ओढ़,
शहद सी मीठी बातें,
मौकापरस्त बन जाएं।
थोड़ा झूठ, कुछ मक्कारी,
चलो हम भी सीख आएं।।
सादे वस्त्र बहुत पहन लिए,
अब बारी खादी की है,
भेष अपना बदल आएं।
जैसे भी करना पड़े,
बस कुर्सी तक पहुँच जाएं।।
विपक्षी पर कीचड़ उछाल,
खूब बुराई उसकी कर,
जनता का नेता बन जाएं।
बहुमत न मिलने पर,
फिर उसी को गले लगाएं।।
राजनीतिक लाभ के लिए,
विष भर दें लोगों में,
दंगा-फसाद भी कराएं।
जाति-धर्म के नाम पर,
संसद तक बस पहुँच जाएं।।
छोटे मोटे नेताओं से,
आंदोलन आयोजित कर,
जनता को खूब उकसाएं।
देश विरोधी लोगों को,
पीछे से समर्थन दिलवाएं।।
कुछ अलग तरह की,
राजनीति करेंगे बोलकर,
कुर्सी के दावेदार बन जाएं।
पहले से गंदी राजनीति को,
और भी गंदा कर आएं।।
© अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक : 06-10-2016 (इंदिरापुरम)
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2 comments:
राजनीति भी अपनी तरह का एक अजब-गजब का मजेदार खेल है, जिसमें कुछ भी हो जाय लेकिन अपने को बचाये रखना है
दिल्ली क्यों आज तो राजनीति के अखाड़े शहर क्या गांव में भी बड़े सुलभ हैं
बहुत सुन्दर। .
आभार जी 👍
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