शीर्षक : बगत चुनौं कु
फिर खींचताण शुरू ह्वेगे,
बगत चुनौं कु फिर ऐगे।
ब्यालि तक जु सियां छाया,
तौं नेतों की सुबेर ह्वेगे।।
जौं बाटों थै बिसरी गे छाया,
उं मा खड़ंजा बिछाण लैगे।
नेता जी आणा छि बल गौं मा,
टूटीं सड़क फिर बणन लैगे।।
कखि शिलान्यास कखि उद्घाटन,
हरच्युं बज़ट फिर आण लैगे।
विकास कार्य कीं भौत हमुन,
समाचारों मा विज्ञापन आण लैगे।।
नेता दीणा बुसिल्या भाषण,
नै-२ घोषणा फिर हूण लैगे।
विपक्षी जागि गैनी अचाणचक,
नजर तौंकि भी दूण लैगे।।
हाईकमान बिटि टिकट तय ह्वेगी,
जाति-धर्म हिसाब से टिकट देगे।
जनता थैं दीणा लोभ-लालच,
अर चमचों की पौबार ह्वेगी।।
खादी का कपड़ों मा देखा,
वोट खातिर हाथ जोड़ि ऐगे।
जागि जावा ऐंसु हे दगिड्यो,
परिवर्तन की चाबी तेरा हाथ रैगे।
© अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक: 14-12-2016 (बुधवार)
ग्वीन मल्ला, बीरोंखाल, पौड़ी, उत्तराखंड
www.iamrawatji.blogspot.in
Tuesday, December 20, 2016
शीर्षक : बगत चुनौं कु
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