महाभारत,
कलजुग मा भी
सतत जारी च।
शकुनि मामा,
नेतों कु अब
भेष धारी च।।
द्वापर मा लड़ै
पांडव - कौरव।
अब ये जुग मा,
जाति अर धर्म
का नौ पर यु,
मनिख्यों लड़ाना।
अर सत्ता थैं अफि
लग्यां हत्याणा।।
द्रौपदी का जनि,
अब भारत माँ
लगीं च दाँव पर।
अर हम पार्ट्यों
का पिछिन्यां,
नि छौ चिताणा।
अर यु चटेळी कि
मौज छन उड़ाणा।।
© अनूप सिंह रावत
ग्वीन, बीरोंखाल, गढ़वाल (उत्तराखण्ड)
दिनांक: 04-01-2018 (बृहस्पतिवार)
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