देखि ब्याळी मिन
देखि
ब्याळि मिन
एक स्वाणी बाँद
देखदि रैग्युं वीं मी
जून सी उज्याळु रूप रंग
उन त पैळि भी देखि बांद
पर वींकि बात ही कुछ होरि छै
वा जनि स्वर्ग सी अप्सरा आई धरती मा
सोचि नि छौ कभि माया का बाटों अळिझे जौंळु
पर आखिर ज्वनि क उमाळ मा मी घसड़क रैड़ि ग्युं।
© 17-01-2018 (बुधवार)
अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
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