Wednesday, January 18, 2012

हे बांद तेरा रूप देखिकी


हे बांद तेरा रूप देखिकी सची मैं त बौल्ये ग्यूं.
झणी क्या जादू करी तिन, माया रोगी ह्वेग्यूं...

पैली भी देखी मिन कै बांद पर त्वे जनि नि देखी
मेरु चित मन अब मैमा नि राई लीगे तू चुरैकी..

धन वै बिधाता कु हे बांद जैन त्वेई बनाई होलू.
तेरु रंग रूप बणान मा हे कै बगत लगाई होल़ू..

दिन कु चैन ख्वेगे मेरु रात्यूं की निंद उडि ग्याई.
खित - 2 हैसणु मिठु बुलाणु मन मा बसी ग्याई..

गला हँसुली नाक नथुली कानों कुंडल सज्या छां.
ज्वान बैख बौल्या बन्या बुढ्यों ज्वानी आयीं चा..

गैल्यान्यूं गैल सजी धजी की थौला मेलू आंदी.
लाखों हजारों मा तू हे बांद अलग ही दिख्यांदी..

साँची माया त्वैमा मेरी त्वेथे मै बिन्गाणु छौं.
त्वे ही ब्योली बणान मिन ब्वे-बुबों मनाणु छौं.

हे बांद तेरा रूप देखिकी सची मैं त बौल्ये ग्यूं.
झणी क्या जादू करी तिन माया रोगी ह्वेग्यूं.

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन " दिनांक -१८-०१-२०१२
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

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