Friday, January 20, 2012

शायरी - अनूप रावत

राती ह्वेगेन मेरी आजकल सुपन्याली.
जब से देखीं तुम्हारी आंखीं रतन्याली.!
कनि स्वाणी दिख्यांदी मुखुड़ी मयाली.
बौल्यें ग्युं माया मा तुम्हारी हे लथ्याली.!

©अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक - 20-01-2012 (इंदिरापुरम)

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