राती ह्वेगेन मेरी आजकल सुपन्याली. जब से देखीं तुम्हारी आंखीं रतन्याली.! कनि स्वाणी दिख्यांदी मुखुड़ी मयाली. बौल्यें ग्युं माया मा तुम्हारी हे लथ्याली.! ©अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक - 20-01-2012 (इंदिरापुरम)
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