Saturday, January 19, 2013

::: गढ़वाली कविता : जग्वाल :::

कब बिटि कन्ना छावा हम लोग जग्वाल।
और झणी कब तक कन्न होरी जग्वाल।

गौं-गौं मा सुबिधा होली कन्ना जग्वाल।
होलू चौमुखी विकास बल कन्ना जग्वाल।

स्कूल मा होला खूब गुरूजी कन्न जग्वाल।
अस्पताल मा होला डॉक्टर कन्ना जग्वाल।

घूस न देंण पोडी काम मा कन्ना जग्वाल।
घूसखोरी ख़त्म होली बल कन्ना जग्वाल।

न हो पलायन घार बीटी कन्ना जग्वाल।
यखि मिलु रोजगार यनु कन्ना जग्वाल।

ह्व़े चुनाव ता बोली बल ऐलि बग्वाल।
वादा कै छाया जू उन्कु करणा जग्वाल।

जन लोकपाल कु कन्ना छावा जग्वाल।
ईमानदार नेता कु कन्ना छावा जग्वाल।

समझ नि औणु झनि कबतक कन्न जग्वाल।
रावत अनूप पुछुणु कब तक कन्न जग्वाल?

©19-01-2013 अनूप रावत “गढ़वाली इंडियन”
ग्वीन, बीरोंखाल, गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

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