मिजाज तुम्हारु जिया लूछी लिजान्दू। हैन्सणु, बोलणु, बच्याणु मन भरमान्दू। प्रीत लैगे तुममा अब ता हमारी हे सुवा, त्वे बिगैर अब हे बांद कतै नि रयान्दू।। © अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन” दिनांक : 06-04-2013 (इंदिरापुरम)
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