Saturday, April 6, 2013

गढ़वाली शायरी – अनूप रावत

मिजाज तुम्हारु जिया लूछी लिजान्दू।
हैन्सणु, बोलणु, बच्याणु मन भरमान्दू।
प्रीत लैगे तुममा अब ता हमारी हे सुवा,
त्वे बिगैर अब हे बांद कतै नि रयान्दू।।

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक : 06-04-2013 (इंदिरापुरम)

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