वा छोरी डाँडो की आंछिरी सी मेरा दिल मा बसिगे रे। मेरु चित मन चोरी लीगे रे, वा मुल-मुल हंसिके रे।। गीत (कविता) जारी है ..... ©अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक २२-०४-२०१३ (इंदिरापुरम)
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