याद औणा छन फिर
उ दिन मैंसणी आज
थौ जब अपडा गौं मा
मेरा बचपन का दिन
ग्वाल्या लगाणु सीखु
जीं छज्जा तिबारी मा
हिटणु सीखु छौ मिन
जौं टेढ़ा मेढ़ा बाटू मा
उ मेरा स्कुल्या दिन
नाम दर्ज ह्व़े जब मेरु
सरया गौंमा भेली बंटे
भैजी दगडी मेरु जाणु
पाटी ब्वल्ख्या लीजाणु
दगिड्यों का गैल खेलणु
कोलणु थाडों मा दौड़णु
कभि बणु छौ मी ग्वरेल
लखडों कु मी डाँडो गयुं
कभि मांजी कु अदर गयुं
हैल लगाई पुंगिड्यों मा
डाला फोड़ी, मोळ ढोली
छ्वाल्या कु पाणी पेयी
तर्र ह्वेगे पेकि उबईं गौली
दगिड्यों दगिड़ी कै चोरी
कखड़ी मुंगरी खूब भकोरी
निंब्वा अर भट्ट खाणु
भात झोली धपडी फाणु
च्या दगिड़ी कुटुकी लगै
घ्यू दूध ज्यू भोरी की खै
थोला मेलु मा खूब गयुं
दगिड्यों गैल मौज उडै
गदुनु मा माछा छौ मारी
धारा मंगुरु कु पाणी सारी
ह्युंद मा ह्युं मा खूब खेली
रुडी बैठ्युं डाल्युं का सेली
ब्यो बरातुं मा नाचणु
कभि खाणा कू बंटुणु
रंग्युं होली का हुलार मा
ख्वेयुं फूलों की बहार मा
फूल-फूल देली छौ खेली
इगास बग्वाल भैला खेली
थाडा चौक मा गीत लगै
रीत मुल्क की मिन निभै
कभि कामकाज हथ बंटे
ग्युं जौ कोदा झंगोरा की
थाडों मा मिन दौं घुमे
हवा लागी ता फिर बतै
फिर स्कुल्या दिन पूरा ह्व़े
परदेश का मी बाटा लग्युं
ऊं दिनों थै याद करी की
अब मी भारी खुदेणु छौंऊं
©अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक - १०-०४-२०१३ (इंदिरापुरम)
Wednesday, April 10, 2013
याद औणा छन फिर
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