क्यों बदल गया इंसान,
क्यों खो गयी मानवता,
इस धरा पर ............
हे प्रभु यह क्या हो रहा है?
बढ़ रहे हैं पाप व अत्याचार,
गरीब की अब आह निकलती,
धरती करवट बदल रही है,
हे प्रभु यह क्या हो रहा है?
स्वार्थ के आगे धर्म झुकता है,
नरसंहार क्यों नहीं रुकता है,
तूफान मचा है इस धरा पर,
हे प्रभु यह क्या हो रहा है?
देवी स्वरुप कन्या की यहाँ,
इज्जत अब हर दिन लुटती है,
रिश्ते नाते हुए तार – तार,
हे प्रभु यह क्या हो रहा है?
इच्छाएं प्रतिदिन बढती जाती,
प्रकृति की शान पर चोट करती,
संभाल ले वक्त से पहले,
हे प्रभु यह क्या हो रहा है?
© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – १३-०४-२०१५ (इंदिरापुरम)
Wednesday, April 15, 2015
क्यों बदल गया इंसान?
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