::: प्रकृति :::
कितनी सुंदर कितनी न्यारी,
प्रकृति की है छटा निराली.
खुसबू और रंगों से परिपूर्ण,
तरह-२ की फूलों की डाली..
ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों से नीचे,
गिरती है सुंदर से जलधारा.
मनभावन दृश्य देखकर लगता,
जैसे हो कोई मोती की माला..
घने बादलों के बीच से,
निकलता इन्द्रधनुष है प्यारा.
ऊँची-नीची टेढ़ी-मेढ़ी राहों से,
शोभित है वनमंडल सारा..
भांति-भांति के पंछी चहकते,
तरह-२ के पौधे और पशुधन.
इतनी सुंदर रचना देखकर,
प्रकृति पर वारी जाए ये मन..
प्रकृति के इस अद्भुद तोहफे को,
संजोकर हमको सदा रखना है.
दोहन करें न इसका अत्यधिक,
भविष्य के खातिर संभलना है..
© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक: १५-०४-२०१५ (इंदिरापुरम)
Wednesday, April 15, 2015
प्रकृति
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