मैं मुसाफिर
चल रहा हूँ
मंजिल की ओर..
सपने देखे जो
इन आँखों ने
बढ़ता उनकी ओर..
है डगर कठिन
जानता हूँ मैं
दिखे न कुछ और..
कदम-2 बढाकर
अनुभव उकेरता
पकड़े विश्वास की डोर..
गिरता फिर उठता
मन मजबूत कर
चलता उसकी ओर..
होगी जीत जरूर
लक्ष्य भेद दूंगा
बढ़ रहा विजय की ओर..
© अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक: 14-04-2015 (इंदिरापुरम)
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