Wednesday, March 28, 2012

घस्यारी (पहाडा की)


ऊँचा निचा डांड्यू जाणी होली घस्यारी
होली माँ बेटी काकी बोडी दीदी भुली ब्वारी
घासा का बाना जांदी मेरा पहाडा की नारी.

मुंड मा परांदा बध्युं होलू कमर मा ज्युडी
हाथ मा होली सजणी छुनक्याली दाथुड़ी

पलान्या मा बैठी की दाथुड़ी थै पल्याली
स्वामी की खुद मा कभी बाजूबंद लगाली

क्वी भरणी होली गड़ोली क्वी बंधिणी पूली
क्वी होली गैल्यों गैल ता क्वी होली यखूली

तीसालू होलु सरैल अर भूख लगणी होली
अपरी खैर भूली, स्वामी की सोचणी होली

दूर डांड्यू बीटी मैत देखि की याद च आणी
मैता की भी होली भारी वीं थै खुद सताणी

जुगराज रैयी तू सदानी हे पहाडा की घस्यारी
रावत अनूप करदू नमन त्वेकू हे पहाडा नारी

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -२८-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

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