आजकल जमानु च चबोड़ कु
दूसरा से भलु दिखेणा कु होड़ कु
मेरा मुल्क मा भी फैली गे यु रोग
भारी चबोडया हूणा छन अब लोग
झणी कख बिटी आई यख भी ऐगे
टांग अपरा यख भी पसरण लैगे
नौना नौनी भारी चबोडया ह्व़े गैनी
अपड़ी रीत रिवाज सब भूली गैनी
नौनु कमाई की अठन्नी मेरु ल्यांद
अर ब्वारी बिचारी रुपया मेरी उडांद
पैली गरीबी मा पैनी लारा फट्या
और अब यु बल चबोड़ ह्वेगे रे ब्यटा
आंग अंगीडी फुर्क्याली घाघरी ख्वेगे
कुर्ता फते मुंड मा कि टोपली ख्वेगे
छोरा च की छोरी नि पछ्नेणु चा
नौ छन यनु कि कते नि बिंगेणु चा
चबोड़ पर खूब बनणा छन अब गीत
अर कखी खोणी च मेरा मुल्क कि रीत
चला दगिद्यो ये चबोड़ थे दूर भगौंला
अपरी संस्कृति हम मिली कि बचौंला
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०९-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Friday, March 9, 2012
चबोड़ (Fashion)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment