कर परिवर्तन आज समय बदल दे
चल आज जीवन का रूख बदल दे
नाम बदलना तू नीयत नही
काम बदलना तू जीरत नही
चल बढ़ा कदम अब मत ठहर
हो परिवर्तन तू कुछ कर गुजर
अंधविश्वास तू करना छोड़ दे
आडम्बरो को हे अब तू तोड़ दे
मत उलझ हे तू जाति धर्म में
ध्यान दे बस तू अब सुकर्म में
ना दौड़ हे तू ऐसे रुपये के पीछे
आ चल मिलकर प्रेम के पेड़ सींचे
ना किसी की बातों में तू बहकना
जो दिल में तेरे बस कर गुजरना
कविता जारी है..........
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -२०-०४-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Friday, April 20, 2012
कर परिवर्तन आज
Wednesday, April 18, 2012
गढ़वाली शायरी By: Anoop Rawat
हे मेरी दगिड्या तू मैं छोड़ी कख गैयी
बोल्यां वचन प्रेम का तोड़ी की कख गैयी
कैल भरमाई त्वेथे हे मेरी दगिड्या
माया वैरी दुनिया का ब्वल्या मा न ऐयी
सच्चू छौं मै तेरु माया कु हक़दार हे
बैठ्यों छौं जग्वाल झठ बौडी की ऐयी...
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
Tuesday, April 17, 2012
बैशाख कु मैना बौडी फिर ऐगे
बैशाख कु मैना बौडी फिर ऐगे
कौथिग उरेणा कु बगत फिर ह्वेगे
चला दगिड्यो कौथिग जयोंला
थोला मेलु मा खूब मौज उडोंला
हे कनि भली रंगत आयीं होली
प्यार भरी भेंट की भी रीत होली
दाना स्याणा ज्वान बैख आला
कौथिग मा सभ्या रंगी जाला
सजी धजी की बांद होली आणी
देखि औंला तौंकी मुखुड़ी स्वाणी
ताती - २ जलेबी पकोड़ी खौंला
बनी-२ का सौदा तब मुल्योंला
कौथिग मा चरखी मा बैठी जौंला
खूब मौज आज गैल्या करि औंला
थड्या चौफला छोपती हम लगोंला
बांदो का लस्का ढस्का देखि औंला
होलू घाम अगर बैठी जौंला छैलु
नि जैलू त बाद मा पछ्ताणु रैलु
बैशाख कु मैना बौडी फिर ऐगे
कौथिग उरेणा कु बगत फिर ह्वेगे
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१७-०४-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Thursday, April 12, 2012
आजा बैठ मेरी गाड़ी मा
आजा बैठ मेरी गाड़ी मा
त्वे अपड़ा मुलुक घुमौलु
कतगा प्यारी च रीत यख
चल त्वेथे हे मी दिखौलु
ऊँची निची छन डांडी कांठी
भली स्वाणी आयीं च बहार
घूमी ऐली मेरा गढ़-कुमाऊं
झट ह्वेजा हे तू गैल्या तैयार
सेलणी कु ठंडो-२ पाणी पेली
कोदा की रोटी चटनी खैली
छंछया भात झोली फाणु खैली
च्या मा भेली की कुटुकी लगेली
रुमुक दा लगलू रांसू मंड़ाण
थड्या चौफला खूब तब लगाण
ज्यूं भोरी नाचली तू मेरा गैल
औ दगिड्या खूब मौज उड़ाण
बाजूबंद लगाणी घास घसेनी
पाणी लेकी आंदी पाणी पनेरी
ग्वरेल होला डांड़यूं मा हे
मन लुभौन्या बांसुरी बजेनी
स्कुल्या छोरों की ठठा मजाक
सगोड्यों मा मचायीं च धाक
चोरी की काखड़ी मुंगुरी तू भी
ऐकि दगिड्या तू भी जा चाख
खूब लग्यां होला थोला मेला
तिमला पात मा जलेबी पकोड़ी
देवभूमि मा आयीं कनि रंगत
ऐजा दगिड्या तू भी रौडी दौड़ी
गाडी मा तेरा बाना हे दगिड्या
गढ़वाली कुमाउनी गीत लगौलु
मन भौन्या गीत त्वे सुणोलु
औ त्वे अपड़ा मुलुक घुमौलु
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१२-०४-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश
Tuesday, April 10, 2012
गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat
Thursday, April 5, 2012
कैकी खुद होली आज सताणी
कैकी खुद होली आज सताणी
घुट-२ बाडुली गौला मा लगाणी
होली क्या ऊं बाटा घाटों की
कभी हिटुणु सीखू छौ जौंमा
होली क्या ऊं डांडी काठ्यूं की
जू छन मेरा मुलुक गौंमा
होली क्या वै स्कूल की जख
पाटी ब्वल्ख्या ली जांदा छाया
या होली मेरा वै स्कूल की
जख बिटि इंटर पास काया
होली क्या ऊं डांडों की जख
गोरुं का दगिडी जांदा छाया
कखड़ी मुंगरी खूब भकोरी छै
गैल्यों गैल जब जांदा छाया
होली क्या ऊं पुंगिड्यों की
जख कभी होळ छौ लगाई
या होली ऊं बणों की जख
लखुडू का बाना मी छौ जाई
होली क्या ऊं थाडों की जख
कभी थड्या चौंफला लगाई
ब्यो बरात्यों मा जख कभी
पंगत मा बैठी की खाणु खाई
कैकी खुद होली आज सताणी
घुट-२ बाडुली गौला मा लगाणी
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०५-०४-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश
Monday, April 2, 2012
म्यारा मुलुक कभी ऐकि देख
म्यारा मुलुक कभी ऐकि देख
कनु प्यारु च मयारू मुलुक रे
मुलुक की प्यारी रीत ऐकि देख
कभी जरा यख बास रैकि देख
देशों मा कु देश मेरु गढ़ देशा
हरियाली छाई रैंदी यख हमेशा
कभी हैरा भैरा डांडा ऐकि देख
रंग बिरंगा छन फूल खिल्यां
देवभूमि मा मनखी छन बस्यां
डांडी कांठ्यूं मा कभी ऐकि देख
कुलें देवदार बांज बुरांश डाली
मेलु तिमला बेडू ऐकि खयाली
ठंडो मीठो पाणी कभी पेकि देख
थोला मेलू की स्वाणी आयीं बहार
ज्यूं भोरी की खतेणु प्यार उलार
ताती-२ जलेबी पकोड़ी खैकि देख
डाँडो ग्वरेल अर घास घस्यारी
रोल्युं जायीं होली पाणी पन्यारी
बांसुरी की भौण मा ख्वेकि देख
स्कुल्या छोरी छ्वारा छन कना जाणा
उकाल उंदार मा गरा बस्ता लिजाणा
ठठा मजाक उंकी जरा तू ऐकि देख
थाडों मा लग्युं च रे रांसू मंडाण
थड्या चौंफला छौंपती मा नचाण
बार त्योंहारों की रौनक ऐकि देख
घ्यू दूध की छरक यख हूंद भारी
कोदा रोटु धन्या की चटनी प्यारी
छंछ्या झोली फाणु कभी खैकि देख
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०२-०४-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Subscribe to:
Posts (Atom)