गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat
तीस्वालू होंदु पराण ता पाणी पेकि तीस चली जांदी
खुद लगदी जब कैकी ता घुट-२ बडुली लगी जांदी..
माया मा जब तक मायादार की मुखुड़ी नि दिखेंदी
तब तक कतई आंख्यों की तीस नि बुझी पांदी...
© 2012 अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
Gween Malla, Bironkhal, Garhwal (UK)
No comments:
Post a Comment