Tuesday, April 10, 2012

गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat


तीस्वालू होंदु पराण ता पाणी पेकि तीस चली जांदी
खुद लगदी जब कैकी ता घुट-२ बडुली लगी जांदी..
माया मा जब तक मायादार की मुखुड़ी नि दिखेंदी
तब तक कतई आंख्यों की तीस नि बुझी पांदी...

© 2012 अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
Gween Malla, Bironkhal, Garhwal (UK)

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