बैशाख कु मैना बौडी फिर ऐगे
कौथिग उरेणा कु बगत फिर ह्वेगे
चला दगिड्यो कौथिग जयोंला
थोला मेलु मा खूब मौज उडोंला
हे कनि भली रंगत आयीं होली
प्यार भरी भेंट की भी रीत होली
दाना स्याणा ज्वान बैख आला
कौथिग मा सभ्या रंगी जाला
सजी धजी की बांद होली आणी
देखि औंला तौंकी मुखुड़ी स्वाणी
ताती - २ जलेबी पकोड़ी खौंला
बनी-२ का सौदा तब मुल्योंला
कौथिग मा चरखी मा बैठी जौंला
खूब मौज आज गैल्या करि औंला
थड्या चौफला छोपती हम लगोंला
बांदो का लस्का ढस्का देखि औंला
होलू घाम अगर बैठी जौंला छैलु
नि जैलू त बाद मा पछ्ताणु रैलु
बैशाख कु मैना बौडी फिर ऐगे
कौथिग उरेणा कु बगत फिर ह्वेगे
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१७-०४-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Tuesday, April 17, 2012
बैशाख कु मैना बौडी फिर ऐगे
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