Wednesday, April 18, 2012

गढ़वाली शायरी By: Anoop Rawat

हे मेरी दगिड्या तू मैं छोड़ी कख गैयी
बोल्यां वचन प्रेम का तोड़ी की कख गैयी
कैल भरमाई त्वेथे हे मेरी दगिड्या
माया वैरी दुनिया का ब्वल्या मा न ऐयी
सच्चू छौं मै तेरु माया कु हक़दार हे
बैठ्यों छौं जग्वाल झठ बौडी की ऐयी...

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत

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