आजा बैठ मेरी गाड़ी मा
त्वे अपड़ा मुलुक घुमौलु
कतगा प्यारी च रीत यख
चल त्वेथे हे मी दिखौलु
ऊँची निची छन डांडी कांठी
भली स्वाणी आयीं च बहार
घूमी ऐली मेरा गढ़-कुमाऊं
झट ह्वेजा हे तू गैल्या तैयार
सेलणी कु ठंडो-२ पाणी पेली
कोदा की रोटी चटनी खैली
छंछया भात झोली फाणु खैली
च्या मा भेली की कुटुकी लगेली
रुमुक दा लगलू रांसू मंड़ाण
थड्या चौफला खूब तब लगाण
ज्यूं भोरी नाचली तू मेरा गैल
औ दगिड्या खूब मौज उड़ाण
बाजूबंद लगाणी घास घसेनी
पाणी लेकी आंदी पाणी पनेरी
ग्वरेल होला डांड़यूं मा हे
मन लुभौन्या बांसुरी बजेनी
स्कुल्या छोरों की ठठा मजाक
सगोड्यों मा मचायीं च धाक
चोरी की काखड़ी मुंगुरी तू भी
ऐकि दगिड्या तू भी जा चाख
खूब लग्यां होला थोला मेला
तिमला पात मा जलेबी पकोड़ी
देवभूमि मा आयीं कनि रंगत
ऐजा दगिड्या तू भी रौडी दौड़ी
गाडी मा तेरा बाना हे दगिड्या
गढ़वाली कुमाउनी गीत लगौलु
मन भौन्या गीत त्वे सुणोलु
औ त्वे अपड़ा मुलुक घुमौलु
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१२-०४-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश
Thursday, April 12, 2012
आजा बैठ मेरी गाड़ी मा
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