साँची प्रीत ओंटिड्यों नि, आंख्योंन बिंगे जांद। लगी जांदी जब कैमा त, दिल मा नि दबे जांद। सम्भाली भी नि समलेंन्दू, उमाल जवानी कु। जब बाली उमर मा, रोग माया कु लगी जांद।। © अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
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