Friday, December 7, 2018

दादाजी की पिट्ठी मा


दादाजी की पिठ्ठी मा
खूब घुम्यों मैं भी
कभि तल्या ख़्वाल
कभि मल्या ख़्वाल
माँजी गई जब
धाण-काज कु
त बण्यां मेरा रख्वाल
मेरी गाड़ी त बस
दादाजी की पिट्ठी छायी
ज्वा सर्या गौं का
दर्शन करांदी छायी
अब त बालापन का
दिनों याद करि कि
भारी खुदेणों छौं
बैकुण्ठवासी दादाजी
तुम थैं नमन कनों छौं।

©® अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक: 07-12-2018 (शुक्रवार)

Wednesday, November 14, 2018

बळ विकास नि हूणु च !!!


कु ब्वनु च कि विकास नि हूणु च
इनै आवा जरा तुम थैं दिखांदू छौं
देखा त सै फिर बोल्यां तुम इनु
मनरेगा मा खड़ोला खैंड्या छन
ढया-ढयों मा जरा देखि कि आवा
पाणी नि अटकुदु व अलग बात च
बांजा ह्वेगेनी जब पुंगड़ा तब
नैर (कूल) बणी च पुंगिड्यों कु
सूखा रौंलू मा व अलग बात च
सड़क पौंछि गैनी सभ्या गौं मा
कच्ची सड़िक्यों बान पहाड़ उजाड़ी
सड़क दुर्घटना हूणी अलग बात च
स्कूल खुल्यां छन गौं-गौं मा
दाल-भात की सपोड़ा-सपोड़
मास्टर नि छन व अलग बात च
जगा-जगों अस्पताल बण्या छन
जख न डॉक्टर मिलदा न दवै
मरीज प्रदेशों रैफर अलग बात च
नेता जी क विकास को त क्या ब्वन
गौं का बाटा-घाटा चपट कैरी
दून सैटल ह्वेगी व अलग बात च
विकास की त कै कहानी छन
जु तुम लोगों त सुणानि छन
अबि खुण इतगा भौत च..!!!

©® अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक: 14-11-2018 (बुधवार)

Wednesday, October 24, 2018

चुनौ कु शंखनाद


चुनौ कु शंखनाद ह्वेगे
हर दल मा घमासान ह्वेगे
अपड़ा बिरणा ह्वेगे त
बिरणा बळ अपड़ा ह्वेगे
पार्टी टिकट पौणा कु
हर कैन खूब जोर लगै
जैथै नि मिलु त वो
बळ निर्दल खडु ह्वेगे
गौं ख्वलों अर सैरों म
नेतों से ज्यादा तौंका
चमचों कु घपरोळ ह्वेगे
जण चारेक दिनों कु बळ
फ्री पीणा कु इंतजाम ह्वेगे
नेता देणा छि बुसिल्या भाषण
जनता बिचारि ताळी बजाणी
ये आस मा कि ऐंसु भलु होलु
अर नेता जी फिर झणी
टोपळी पैने की चलिगे।।

©® 2018 अनूप सिंह रावत

Monday, August 20, 2018

दैत ऐगेनी देवभूमि मा


दैत ऐगेनी देवभूमि मा
तख का मनिख्यों कु
सुःख चैन छन लूटणा
नजर च तौं कि
पहाड़ा बेटि-ब्वार्यों पर
दिन दुगणा रात चौगुणा
स्यु अपराध कन्ना छन
अभि भी बगत च चितै जावा
उठा जागा भै-बैण्यों
तौं का कुकर्मों से देवभूमि
गंदी नि हूणि द्यावा
कळजुग का धृतराष्ट्र
नेता अफ़सर चुपचाप देखणा
पंडो सि मजबूर नि ह्वावा
नि आणु कृष्ण भगवान ळ
अफि उठो हथियार अर
जख पकडेणा स्यु दैत
उठो अफि हथियार अर
काटी द्यो तखि तौंका गौळा

©® अनूप सिंह रावत

Tuesday, August 14, 2018

जरा याद कैरि ल्यावा


जौं ळ देश का खातिर
अपड़ी कुर्बानी दे छायी
जरा द्वी घड़ी कु ही सै
याद तौं भी करि ल्यावा
आज़ाद छावा जौंका भ्वार
अपड़ी बात रखणा छावा
जान गवैं जौंळ देश की
मान-मर्यादा राखि संभाली
तौं की जयकार ब्वाला
सौं घैंटा आज सभ्या कि
मिली जुलि की सदनी रौंला
ये जुग-जगत मा देश कु
नौ रोशन कैरि द्योंला।।

©® अनूप सिंह रावत

Tuesday, June 26, 2018

रैबार


रैबार भेजि त छै
पर मिलु नि वों थै झणि
तबि नि आया अजों तळक
य फिर सब कुछ समझिकी
अणसुण्या कन्ना होळा
कि कब बिटि छौं जग्वाळ
तौं कि मुखुड़ि देखणा कु
चैंठी कि भुकि पेणा कु
बस इतगा त चांदु मी कि
जब तळक साँस चलिणी च
य कूड़ी इनि टिकी च
तुम आणा-जाणा रावा...

©® 2018 अनूप सिंह रावत

Friday, May 25, 2018

सुपिन्या


सुपिन्या भि कभि-कबार
बकि-बाता का ह्वे जांदी
जनु कि ब्याळि रात ह्वे
क्या देखुणु छु कि
खाली पड्यां गौं-गुठ्यार
फिर से भ्वर्याँ छन
वल्या पल्या छाल फिर
मनिख्यों कु घपरोल
बांजा प्वड़्यां पुंगिड्यों म
धाण-काज करदा लोग
बाजारों म भारी रौनक
आंदा-जांदा बटोयों बहार
पंदेरों म बंठों की लैन
बांसुली बजांदा ग्वरेल
हैंसदा खेलदा गांदा गीत
मुल्क की निभांदा रीत
कच्ची पक्की सड़क दिखे
तौं पर हथ जोड़ि वोट मंगदा
जनि मिथै एक नेता दिखे
तनि फट्ट निंद टूटिगे
मनमोहण्या सुपिन्यु मेरु
झणी कख हर्चिगे !!!

©®2018 अनूप सिंह रावत

Friday, May 4, 2018

ऐंसु फिर रूड़ी ऐ ग्याई


ऐंसु फिर रूड़ी ऐ ग्याई
घौर-बोण कना कु
फिर से बगत ऐ ग्याई
स्कुल्यों की छुट्टी बाद
जु गौं म छन उ
बोण जाणा कु तैयार
अर जु परदेश छन
उ गरम्यों मा घार
पहाड़ का मनखी
खैरि फटाणा कु जाणा
अर परदेशी गौं भेंटि
खुद मिटै कि आळा।

© ® Anoop Singh Rawat

Wednesday, April 25, 2018

चला भै स्कूल जौंला


चला भै हम सभ्या स्कूल जौंला
द्यू जल्यूं च बल तख ज्ञान कु
उज्याळो हम भी उकरी ल्योंला
पैलि सिखला आखर हम सब
फिर तौं गठ्याणों सीखि जौंला

कविता जारी है .....

©® अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"

Wednesday, March 28, 2018

About Anoop Rawat by Bhishma Kukreti Ji


Anoop Singh Rawat: A Promising Garhwali Poet and a Blogger
(गढ़वाल, उत्तराखंड, हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग -236)
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(Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, Part ::)
By: Bhishma Kukreti (Literature Historian)
-
Anoop Singh Rawat is one of the promising young Garhwali poets interested in taking Garhwali poetry on its zenith.
Anoop knows that in modern time, internet is one the most promising medium for promoting small population spoken language as Garhwali. That is the reason he started his own blog (Meru Muluk Meru Paran. www.iamrawatji.blogspot.in).
Anoop Rawat was born in Gween Malla, Khatali, Bironkhal of Pauri Garhwal in 1989. Anoop Rawat is post graduate and interested in digital media.

Humanity, Social reforms and Garhwal are major concerns for young Garhwali poet Anoop. He discusses Chakbandi, foeticide, development and many more subjects as love, philosophy, spirituality, patriotism.
हे गितांग दिदा जरा चकबंदी कु गीत लगै दे poem shows his concern for social and agriculture reforms in Garhwal hills.

His one of the best social concern poems is about foeticide -
कन्या भ्रूण हत्या पर कुछ पंक्तियाँ (गढ़वाली कविता भाग )

आणि दे वीं ईं दुनिया मा, जींणी दे वीं ईं दुनिया मा
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात
कुछ त डैर वे बिधाता से राखी ले मनख्यात

आज की दुनिया मा बेटी बेटा बराबर चा
ध्यान से देख फर्क नीचा कुछ भी द्वियु मा
टक्क लगे सुणी ले अनूप रावत कि या बात
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात
कुछ त डेर वे बिधाता से राखी ले मनख्यात

तीलू, रामी, गौरा ह्वेनी बड़ी-२ नारी
जौन करी काम यनु दुनिया दे तारी
छाया सभ्या यु भी रे मनखी नारी जात
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात
कुछ त डेर वे बिधाता से राखी ले मनख्यात

Anoop also creates humor and satire in his Garhwali poetry as under –
उन त मि
नौन्युं देखि
भारी सरमांदू छौं
पर कबि फेसबुक मा
जरा सि चैट कै देंदु…

Anoop Rawat uses lyrics, poems and Ghzals for his illustration.
It is clearly visible effects of Salani Garhwali dialects in poems by Anoop Rawat.
Anoop uses old Garhwali phrases (खैरी खांदा खांदा) and new phrases (फूल माला रिबन कटे उद्घाटन ह्वे गे) too for illustrating his poems.
There are mostly all types of images in the poems by Anoop. His uses of symbols make perfect images.
Poetry critic Dr. Manjula Dhoundiyal claims that Anoop has tremendous potentiality for Garhwali poetry world.

Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017

Tuesday, March 20, 2018

एक कवि सम्मेलन मा


एक कवि सम्मेलन मा
तब गजब ह्वे ग्याई
जब वूं ळ मिथे भि
मंच पर बुलै द्याई
हम त सुनणा कु गयां छाया
पर हम थैं अपड़ी कविता
सुणान कु ब्वले ग्याई …

पैलि त मी जरा डैरी ग्यों
पर तौं न हौंसला बढै
फेसबुक मा बल तुम
खूब कविता पोस्ट करदो
आज यखम भी सुणे द्यो
मिन भी फट्ट मोबेल म देखि
कविता सुणे द्याई ...

पैलि-२ दौं कविता पाठ कार
थोड़ा भौत गलती भि ह्वाई
लोगों थैं कविता पसंद आई
अर दगड़ा दगडि सभ्या
मंचासीन धुरंधर कविगणों ळ
निरंतर अगिन्या बढ़णा कु
आशीष मैं थैं दे द्याई ...

©® अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक: 20-03-2018 (मंगलवार)

Wednesday, January 17, 2018

देखि ब्याळी मिन


देखि
ब्याळि मिन
एक स्वाणी बाँद
देखदि रैग्युं वीं मी
जून सी उज्याळु रूप रंग
उन त पैळि भी देखि बांद
पर वींकि बात ही कुछ होरि छै
वा जनि स्वर्ग सी अप्सरा आई धरती मा
सोचि नि छौ कभि माया का बाटों अळिझे जौंळु
पर आखिर ज्वनि क उमाळ मा मी घसड़क रैड़ि ग्युं।

© 17-01-2018 (बुधवार)
अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"

Thursday, January 4, 2018

महाभारत - कलजुग मा

महाभारत,
कलजुग मा भी
सतत जारी च।
शकुनि मामा,
नेतों कु अब
भेष धारी च।।

द्वापर मा लड़ै
पांडव - कौरव।
अब ये जुग मा,
जाति अर धर्म
का नौ पर यु,
मनिख्यों लड़ाना।
अर सत्ता थैं अफि
लग्यां हत्याणा।।

द्रौपदी का जनि,
अब भारत माँ
लगीं च दाँव पर।
अर हम पार्ट्यों
का पिछिन्यां,
नि छौ चिताणा।
अर यु चटेळी कि
मौज छन उड़ाणा।।

© अनूप सिंह रावत
ग्वीन, बीरोंखाल, गढ़वाल (उत्तराखण्ड)
दिनांक: 04-01-2018 (बृहस्पतिवार)