कख छै सुवा, कख तू लुकी रे,
मन की पीड़ा त्वेन जाणी ना.
तेरो नाम ए दिल मा लेखी सकी ना ...
आकाश मा खोजे, धरती मा भेंटि सकी ना,
तेरी याद मा आंख्युं बिटी आंसू बरखदा,
निठुर दुन्या न रोकी सकी ना .....
ऐजा सुवा, त्वे बिगैर ज्यू सकदु ना ...
गीत जारी है ........
अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ३०-१२-२०१४ (इंदिरापुरम)
Tuesday, December 30, 2014
गढ़वाली गीत - कख छै सुवा
Sunday, November 23, 2014
गढ़वाली शायरी - Anoop S. Rawat
Friday, October 17, 2014
गढ़वाली शायरी – अनूप रावत
गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत
Friday, September 19, 2014
गढ़वाली शायरी - @$R
Monday, September 15, 2014
गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत
Tuesday, September 2, 2014
गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत
Sunday, August 24, 2014
देवभूमि त्वे भट्याणी च
सूणी ले रे हे दगिड्या,
कब बिटि की धै लगाणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 1।
तिबारी डिंडाळी भट्याणी च,
उरख्याली-गंज्याली भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 2।
बांजी हूंदी पुंगड़ी भट्याणी च,
डांडी - कांठी भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 3।
पहाड़ की रीत भट्याणी च,
बारामासी गीत भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 4।
रौली - गदेरी भट्याणी च,
घासा की घसेरी भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 5।
पाणी की पन्देरी भट्याणी च,
घुघुती-हिलांश भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 6।
जन्दुरु-घराट भट्याणी च,
उजड़ी कूडी-छानि भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 7।
टेढ़ी-मेढ़ी बाटी भट्याणी च,
ऊँची-नीचि घाटी भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 8।
बसग्याल- ह्युंद-रूडी भट्याणी च,
छुणक्याळी दाथुड़ी भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 9।
तांबा की गगरी भट्याणी च,
लोखर की भद्याली भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 10।
फूलों की डाली भट्याणी च,
हैरी भैरी सारी भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 11।
भभरांदी आग भट्याणी च,
च्या की केतली भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 12।
फाणु - झोळी भटयाणी च,
कोदा की रोटि भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 13।
धार कु मंदिर भट्याणी च,
देवों थौल - जात्रा भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 14।
थौला-मेला भट्याणी च,
देवभूमि त्वे भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 15।
© अनूप सिंह रावत, दिनांक - २४-०८-२०१४
इंदिरापुरम, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
ग्वीन, बीरोंखाल, गढ़वाल, उत्तराखंड
Saturday, August 9, 2014
Rakshabandhan
Sunday, July 27, 2014
गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत
Tuesday, July 8, 2014
गढ़वाली शायरी
न लगो तू मिठी-मिठी छ्वीं बता,
तेरी छुयों मा अलिझे नि जों कखि.
बौल्या समझुणु रों जमानु मिथे,
अर मैं त्वैमा माया लगाणु रों कखि..
© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ०४-०९-२०१३ (इंदिरापुरम)
गढ़वाली शायरी - ASR
आज भी प्रीत त्वैमा ही चा।
फेसबुक ट्विटर कु पासवर्ड,
सची अब भी तेरु ही नौ चा।।
- अनूप सिंह रावत "ASR"
Tuesday, July 1, 2014
मायादार रूपसी मेरी
Friday, May 23, 2014
हिंदी शायरी
गढ़वाली शायरी
रावत बोल वचन, भाग-2
।। रावत बोल वचन, भाग-2 ।।
डिग्री है डिप्लोमा है, सिर्फ नहीं है काम।
जीवन यापन कैसे करे, हर दिन बढ़े है दाम।1।
शायद मुझे भी लग गया, अनूठा प्रेम का रोग।
खोए खोए से रहते हो, कहते हैं अब सब लोग।2।
आया वक्त चुनाव का, नेताओं का लगा जमघट।
हाथ जोड़े गले लगे अभी, बाद कहेंगे चल हट।3।
घर-घर दीपक ज्ञान का, चलो जलाएं आज।
जन-जन को शिक्षित करें, खुशहाल होगा समाज।4।
जाति धर्म अब बहुत हुआ, आओ बढ़ाएं भाईचारा।
मिल-जुलकर प्रगति करें, जग विख्यात हो देश हमारा।5।
© अनूप सिंह रावत - 24-04-2014
ग्वीन मल्ला, बीरोंखाल, पौड़ी, उत्तराखंड
इंदिरापुरम (गाजियाबाद)
Friday, March 14, 2014
गढ़वाली शायरी - ASR
गढ़वाली शायरी - ASR
Tuesday, February 11, 2014
गढ़वाली कविता - बाटू
“ बाटू ”
बाटू,
टेढू-मेढू बाटू,
कखी उकाल, कखी उंदार,
कखी सैणु, कखी धार-धार।
बाटू,
कु होलू जाणु,
क्वी जाणु च अबाटू,
त क्वी लग्युं च सुबाटू।
बाटू,
जाणु चा बटोई,
क्वी हिटणु यखुली,
त क्वी दगिड्यों दगिडी।
बाटू,
पैंट्यां छन देखा,
क्वी च मैत आणु,
त क्वी परदेश च जाणु।
बाटू,
वै जै ‘अनूप’ ब्वनु,
जख बल मनख्यात हो,
सुकर्म मा दिन रात हो।
© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ०२-०२-२०१४ (इंदिरापुरम)
बिज़ी रयुं सैरी रात
हिंदी शायरी - Garhwali Indian
कभी-2 हम भी कलम चला लेते हैं।
बस दिल की भावनाओं को,
कागज पर उकेर लेते हैं।।
- अनूप सिंह रावत (28-01-14)
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