पिंगली फ्योली डांड्यों मा खिलदी।
माया मा आंखी सब कुछ बोलदी।
मिल त जान्दन मायादार कई यख,
गल्वाड़ी मा तिल मुश्किल से मिलदी।
©2012 अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी (उत्तराखंड)
Thursday, December 27, 2012
गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat
Saturday, December 22, 2012
नौकरी का बाना
घर गौं मुल्क छोड्यों च,
ईं पापी नौकरी का बाना।
छौं दूर परदेश मा मी हे,
निर्भे द्वी रुप्यों का बाना।
मेरी सुवा घार छोड़ी च,
ब्वे बुबों से मुख मोढ्यों च।
ईं गरीबी का बाना कनु,
अपड़ो से नातू तोड्यों च।
दिन रात ड्यूटी कनु छु,
तब त द्वी रोटी खाणु छु।
जनि तनि कुछ बचायी की,
घार वलु कु मी भेजणु छु।
ऐ जांद जब क्वी रंत रैबार,
चिठ्ठी का कत्तर मा प्यार।
द्वी बूंद आंसू का आंख्युं मा,
ऐ जन्दिन तब हे म्यार।
हे देवतों मी तुम्हारा सार।
यख रै की भी आस तुममा,
राजी ख़ुशी रख्यां गौं गुठ्यार,
आस पड़ोस अर मेरु घरबार।
कभी बार त्यौहार मा मी,
घार जांदू छुट्टी जब आंदी।
पर यूं द्वी चार दिनों मा,
खुद की तीस नि बुझी पांदी।
घर गौं मुल्क छोड्यों च,
ईं पापी नौकरी का बाना।
छौं दूर परदेश मा मी हे,
निर्भे द्वी रुप्यों का बाना।
मेरी कविता संग्रह "मेरु मुल्क मेरु पराण" बिटि।
©22-12-2012 अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Friday, December 21, 2012
गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat
आजकल वा खूब दूर-2 जाणी चा।
झणी किले वा बांद मैसे रुसायीं चा।
नि भी माणाली ता क्वी बात निचा।
मेरी एक हैंकि बांद भी खुज्यायी चा।
©2012 अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
ग्वीन, बीरोंखाल, गढ़वाल (उत्तराखंड)
Tuesday, December 11, 2012
गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat
Saturday, November 24, 2012
हिंदी शायरी By Anoop Rawat
कलम हाथ में आकर बोली कुछ लिख दे।
फिर मैंने सोचा क्या लिखूं आज कुछ खास।
रंजिश लिखूं तो कुछ फायदा नहीं है।
फिर दिल ने कहा चल मुहब्बत लिख दे।।
©2012 अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
कन्या भ्रूण हत्या पर कुछ पंक्तियाँ
!!! कन्या भ्रूण हत्या पर कुछ पंक्तियाँ !!!
आणि दे वीं ईं दुनिया मा,
जीणी दे वीं ईं दुनिया मा।।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।
घर की लक्ष्मी च नौनी, वीं आणी दे।
देख हे, सूण हे, वींथे भी फर्ज निभाणी दे।
सबसे अगिन्या रैली सब थै देली मात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।
एक ही जन्म मा वींका छन रूप अनेक।
सदानी बिटि करदी आणि व कर्म हे नेक।
दुनिया का उद्धार खातिर कारली एक दिन रात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।
तीलू, रामी, गौरा ह्वेनी बड़ी-२ नारी।
जौन करी काम यनु दुनिया दे तारी।
छाया सभ्या यु भी रे मनखी नारी जात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।
आज की दुनिया मा बेटी बेटा बराबर चा।
ध्यान से देख फर्क नीचा कुछ भी द्वियु मा।
टक्क लगे सुणी ले अनूप रावत कि या बात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।
©2012 अनूप सिंह रावत ” गढ़वाली इंडियन “
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी, उत्तराखंड (इंदिरापुरम)
हिंदी शायरी By Anoop Rawat
सुना है इश्क समुंदर की तरह गहरा होता है।
न जाने हम कब उसमें गोते लगायेंगे।
©2012 अनूप रावत “गढ़वाली इंडियन”
गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat
प्रीत की डोर कुंगली होंद, जरा गेड ढंग से बंध्यां।
ज्वानी का बथों मा नि उड़न, खुटा भुयां ही रख्यां।
संभाली की लगोण प्रीत, वादों मा न तुम तोल्यां।
जांची पूछी लगोण माया, दगिड्यो बाद मा न रुयां।।
©2012 अनूप रावत “गढ़वाली इंडियन”
Wednesday, November 21, 2012
सब मिलालु त्वे हे
सपोडा सपोड़ किले कनु छै,
सब मिलालु त्वे हे जरूर।
जु भी होलु भाग मा तेरा,
एक दिन मिललू त्वे जरूर।।
बगत कभी रुक्युं नि रैंदु,
आदत येकी मनखी जनि च,
सब कुछ च त्वेमा हे मनखी,
बस एक धीरज की कमि च।।
पालु नि रैंदु सदनी चमकुणु,
घाम औण मा गली जान्द।
पाप कु घाडू कतगा भी संभाल,
एक दिन फट्ट फूटी जान्द।।
सुबाटू जा रे तू हे मनखी,
फूलों कु बाटू बण्यों त्वेकू।
सब कुछ मिली जालु त्वेथे,
रकऱयाट हुयुं किले त्वेकू।।
अपरी गलती थै माणी ले,
कैर प्रायश्चित और सुधारी ले,
धर्म से विमुख न ह्वे कभी,
रावत अनूप की बात जाणी ले।।
कविता जारी है ....
मेरी कविता संग्रह
"मेरु मुल्क मेरु पराण" बिटि:-
©2012 अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
Saturday, November 17, 2012
गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat
साँची प्रीत ओंटिड्यों नि, आंख्योंन बिंगे जांद।
लगी जांदी जब कैमा त, दिल मा नि दबे जांद।
सम्भाली भी नि समलेंन्दू, उमाल जवानी कु।
जब बाली उमर मा, रोग माया कु लगी जांद।।
© अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
Monday, November 12, 2012
गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat
झणी किलै माया लगोणा कु ज्युं बोनु चा ।
हे बांद रतन्याली आंखी देखि की तेरी ।।।
अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
Saturday, November 3, 2012
प्रेम कु फूल खिलिगे
प्रेम कु फूल खिलिगे जिकुड़ी मा,
कैथे जी द्यूं अब खुज्याणु छौं।
को होलु ऐका काबिल दगिड्यो,
वैथे मी अब ता भट्याणु छौ।।
जब बिटि आयी या ज्वानी,
बणों - बणों मी डबकणु छौ।
सुपिन्यों मा ऐ ज्वा बांद,
वींथे यख-वख ढुंढणु छौं।।
काम काज मा ज्यूं नि लगणु,
झणी किलै इनु तरसेणु छौं।
गौला बाडुली, खुट्यों मा पराज,
झणी किलै मी खुदेणु छौं।।
बथों उडणु यु बालु मन मेरु,
जनि तनि ये समझाणु छौं।
भेंट करै द्यावा अब ता हे,
64 कोटि देवतों मनाणु छौं।।
प्रेम कु फूल खिलिगे जिकुड़ी मा,
कैथे जी द्यूं अब खुज्याणु छौं।
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
“गढ़वाली इंडियन” दिनांक: 03-11-2012
Tuesday, October 30, 2012
आखर छौं मी गठ्याणु
आखर छौं मी गठ्याणु
मन की बात छौं मी बिंगाणु
पहाड़ों कु वासी छौं मी
देवतों का थौं छन जख
हे उत्तराखंड कु छौं मी
अपड़ी सार छौं मी लगाणु
आखर छौं मी गठ्याणु
मन की बात छौं मी बिंगाणु
जन्मभूमि छोड़ी की अयुं
दूर परदेशों बस्युं छौं मी
भारी खुदेणु यख छौं मी
मन थै छौं मी बुथ्याणु
आखर छौं मी गठ्याणु
मन की बात छौं मी बिंगाणु
द्वी रुप्यों का बाना मेरु
गौं, मुलुक, छोड्यूं च डेरु
छौं वख जख क्वी नि मेरु
जिंदगी थै छौं मी धक्याणु
आखर छौं मी गठ्याणु
मन की बात छौं मी बिंगाणु
कब बिटि गौं नि गायी
ठंडो मीठो पाणी नि प्यायी
ब्वे हाथों कु खाणु नि खायी
बेस्वाद यख छौं मी खाणु
आखर छौं मी गठ्याणु
मन की बात छौं मी बिंगाणु
कभी ह्युंद त कभी गरमी
यख त देखा पराण तडपी
जिंदगी च जाल मा जकड़ी
खैर अपड़ी छौं मी लगाणु
आखर छौं मी गठ्याणु
मन की बात छौं मी बिंगाणु
अब नि रैणु यख त मिन
ध्याड़ी मजदूरी जू भी कन
भौत ह्वेगे अब छौं जाणु
अपड़ा मुलुक छौं मी जाणु
आखर छौं मी गठ्याणु
मन की बात छौं मी बिंगाणु
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
“गढ़वाली इंडियन” दिनांक: २९-०९-२०१२
Wednesday, October 17, 2012
सर बिरोली
सर बिरोली जब भी आंद,
अन्याड़ सदानी कैरी जांद।।
द्वार ढ़ोंग्यां रैंदा पट्ट,
पर खोली देंदी स्या चट्ट।
दूध की भांडी पेयी जांद।
सर बिरोली जब भी आंद,
अन्याड़ सदानी कैरी जांद।।
सुबेर कल्या रोटी पकायी,
तिबारी डिडांळी साफ़ कायी।
तब तक स्या सब खै जांद।
सर बिरोली जब भी आंद,
अन्याड़ सदानी कैरी जांद।।
कल्यो दे कैन जलोठा धरयुं,
स्यूं भी सीं बिरोली ना खयुं।
सब गायी निर्भगी का प्याट।
सर बिरोली जब भी आंद,
अन्याड़ सदानी कैरी जांद।।
छै मेरी कुछ कुखुड़ी सैंती,
वु भी छनी से भैर खैंची ।
छि भै भारी नुक्सान कै जांद।
सर बिरोली जब भी आंद,
अन्याड़ सदानी कैरी जांद।।
ढुंढणु छौं पर हथ नि आणी,
अन्याड़ कनी मूसा नि खाणी।
छडम ह्व़े त निंद उडी जांद।
सर बिरोली जब भी आंद,
अन्याड़ सदानी कैरी जांद।।
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक: १७-०९-२०१२
Wednesday, October 3, 2012
हिंदी शायरी By Anoop Rawat
प्रेम का रोग भी बड़ा अजीब है
देखता न अमीर न गरीब है...
चाहे कितने भी पहरे लगा लो,
प्रेमी एक दूजे के सदा करीब हैं.
अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
Date: 03-09-2012
Thursday, September 27, 2012
जनता भ्रष्टाचार से त्रस्त है
जनता भ्रष्टाचार से त्रस्त है
सरकार घोटालों में व्यस्त है
जनता बीमारियों से ग्रस्त है
पर सारे नेता लोग स्वस्थ हैं
महंगाई भी देखो बड़ी मस्त है
गरीबों की हालत बड़ी पस्त है
सरकार जनता को वादों की
लगा रही बार-२ बस गश्त है
जनता भ्रष्टाचार से त्रस्त है
सरकार घोटालों में व्यस्त है
सर्वाधिकार सुरक्षित @ अनूप रावत
"गढ़वाली इंडियन"
दिनांक - २७-०९-२०१२
Tuesday, September 4, 2012
हिंदी शायरी By Anoop Rawat
Saturday, September 1, 2012
गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat
Tuesday, August 14, 2012
१५ अगस्त, स्वतंत्रता दिवस
१५ अगस्त, स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
थाम तिरंगा हाथ में, आओ मिलकर जश्न मनाएं ।।
दे सलामी तिरंगे को, राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत हम गाएं।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।
याद करें उन अमर जवानों, शहीदों को आज हम,
जो इस भारत देश की खातिर मर मिट गए ।
दी प्राणों की आहुति, देश के सुगम भविष्य के लिए,
जो लौटकर न आये और अमर जगत में हो गए ।
वीरों का गुणगान करें, देशभक्ति के हम गीत गाएं ।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।
सीमा पर सीना ताने हैं खड़े, प्रहरी सेना के जवान,
खेत खलियानों में मेहनत करते देश के किसान।
सम्पूर्ण भारतवर्ष से दूर करेंगे हम अब अज्ञान,
हर किसी को शिक्षा मिले शुरू करें ये अभियान ।
चलो जवानों का, किसानों का हम हौंसला बढ़ाएं ।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।
कृषि, कला, विज्ञान, वाणिज्य में आगे बढ़ेंगे,
करें जतन कुछ ऐसा विश्व में परचम फहराएंगे।
तन मन धन से इस देश की हम सेवा करेंगे,
भारतीय संस्कृति को सम्पूर्ण विश्व में फैलायेंगे।
विश्व पटल पर "भारत" नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखाएं।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।
जांति-पांति, धर्म का भेदभाव छोड़ कर आगे बढ़ें,
कोई छोटा, न कोई बड़ा, एक दूजे के गले मिलें।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हम सब हैं भाई-भाई,
इस देश की खातिर कन्धा से कन्धा मिलाकर चलें।
भाईचारा है भारत की ताकत सम्पूर्ण विश्व को दिखलाएं।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।
अमर शहीदों को रावत अनूप का शत-शत नमन,
शपथ लें देश से भ्रष्टाचार, आतंकवाद का करेंगे दमन।
एक कुटुम है भारत प्यारा, फैलाएं देश में चैन अमन,
खिलें खुशियों से हर चेहरा, मुस्कुराएं सारा चमन।
बाँटें खुशियाँ आज हम और चादर प्रेम की बिछाएं।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक: १४-०८-२०१२
Monday, August 13, 2012
जोगी एक देखि मैन
जानू छाई सफ़र मा बैठी कि ट्रेन मा,
ज्वान सी जोगी एक देखि मैन हाँ ।।
पूछी मिन वैसे किले रे त्वेन,
सन्यांस जवानी मा ल्याई त्वेन,
घर गृहस्थी से मन मुड़ी ग्यायी,
इले ही सन्यांस ल्याई रे मैन ।।
घर बार, मोह माया छोड़ी की हे,
बस प्रभु थै अब पाण चाहन्दु,
ज्ञान की कुटरी भ्वरणु चाहन्दु,
प्रेम रुपी प्रकाश फैलाणु चाहन्दु ।।
लड़े झगुडू से कखी दूर छु जाणू,
ज्यू जंजाल सब छोड़ी की जाणू,
यु तेरु यु मेरु कु लोभ छोड़ी की,
प्रभु की शरण मा छौं मी जाणू ।।
मिन बोली ठीक च दिदा यु भी,
समाज थै सदानी ज्ञान दीन्दा रयां,
भटकुला जब बाटु हम लोग हे,
सुबाटू हमथें सदानी दिखान्दा रयां ।।
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक: १३-०८-२०१२
Monday, August 6, 2012
बरखा लगी च कुमौ - गढ़वाल
रूम झुमा आई फिर बसग्याल
बरखा लगी च कुमौ - गढ़वाल
रुणझुण बरखा सौण भादो कु मैना
बरखा मा देखा सभी रुझी गैना
कखी लगी च जरा, कखी भारी
भीजी गेनी सरया छज्जा तिबारी
सारयूं मा काम काज उनी लग्यूं
डांडी कांठ्यों भारी कुयेडू च लग्यूं
आई बरखा त हरियाली बढिगे
गौं गुठ्यार मा फिर बहार ऐगे
कखी आई बिंजा त ब्वगणी हुई
कखी उजाड़ बिजाड खूब च हुई
बिधाता होई नाराज त बाढ़ आई
कैकी कुड़ी पुंगुड़ी कैकी जान गाई
हे सरगा रुण झुण बरखंदु रैयी
हे कखी उजाड़ बिजाड न कैयी
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक - ०६-०८-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Friday, July 27, 2012
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल
द्वी हाथ जोड़ी की मेरा दगिड्यो आज बोलियाल.
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.
डांडी कांठ्यूं कु मुल्क मेरु कुमाऊँ गढ़वाल.
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.
बद्री - केदार की छत्रछाया मा मनखी बस्यान
गंगोत्री यमनोत्री का किनारा गौं का गौं बस्यान
भलु च मिजाज अर मीठी च यख बोलचाल.
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.
फूल हैंसणा छन यख ऊँची नीची डांड्यों मा
हैरी हरियाली छाई च यख गैरी-२ घाट्यों मा
देवधरा बारामास इनी रेंद गैल्या तू सुणियाल.
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.
ठंडी बयार आणि, ब्वगणी च यख गाड गदेरी
बणो ग्वरेल, पन्देरूं मा पनेरी, डांड्यों मा घसेरी
मन लुभौण्या गीत दगिड्या आज तू भी गयाल
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.
चखुला भी यख बनी-२ का डाल्यूं मा चुच्याणा
कभी यख कभी वख देखा रैबार थै पहुँचाणा
ह्वेगे सुबेर अर पोडिगे रुमुक सब यून बोलियाल
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.
काम काज का बगत सब लोग छन पुंगिड्यों मा
प्याज पिरण्या, धण्या की चटनी छन रोट्यों मा
खैर फटान कु भेली कुटुकी मा अहा च्या पियाल
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक - २१-०५-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Monday, July 2, 2012
गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat
याद औणी दगिड्यो की, जिकुड़ी मा मच्युं बबाल.
पुछणु छु आप से कन्ना छान आपका हाल चाल.
बिजां हुनु च गरम गैल्यों, बुरा हुयां छान हाल.
जनु भी होलू मेरा दगिड्यो रख्यां अपरू ख्याल.
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक-02-07-2012
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Wednesday, June 13, 2012
बणों मा आग
मेरा मुल्क बणों मा आग लगी च
पौन पंछ्युं मा हाहाकार मची च..
हैरा भैरा डांडा लाल बण्या छन
डाली बोटी देखा सभ्या जलना छन
कुयेडी लौंकणी छै जौं डांड्यों मा
धुंआ ही धुंआ हुयों च उ डांड्यों मा
ग्वरेलों का गीत, घसेन्यों की दथुड़ी
ख्वेगे कखी, अर वख आग भभकणी
जान बचायी के चखुलों ता उडी गैनी
पर अंडा, फतल्या, घोल जैली गैनी
जंगली गोर भी कना भजणा छन
घास छोड़ी की ढुंग्यों मा चढ़णा छन
जौंमा छन जिम्मेदारी उ सियां छन
आग मुल्क का लोग बुझौणा छन
चला दगिड्यो बणों थैं हम बचौंला
बणों मा आग थैं हम भी बुझौंला.
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक - १३-०६-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Wednesday, May 23, 2012
अज्वाण सी अन्वार
अज्वाण सी अन्वार मन मा बसी ग्यायी
दिल मेरु आज यु झणी कख हर्ची ग्यायी.
मुल - मुल हैंसणी कभी छै व शरमाणी
घुंघर्याली ल्वाटुली छै मुखुड़ी मा आणी.
गौला मा हंसुली नाक नथुली सजणी छै
हाथों मा चूड़ी, खुट्यों पैजबी बजणी छै.
पैन्युं छौ लाल बिलोज मा पिंगली साड़ी
गैल्याण्यु गैल हिटणी छै सबसे अग्वाड़ी
देखदा ही ख्वेगे छौ मी विंकी आंख्यों मा
मन भरमैगे मेरु विंकी रसीली बातों मा.
कनिके बिंगो वीमा अपरा दिल की बात
ख्याल विंका ही आणा सरया दिन रात
कब ऐली वा मीमा दगिड्यो रौडी-दौड़ी
कब बणाली हमारी मल्यो की सी जोड़ी
हे प्रभु अब तू ही मेरी माया विमा बिंगे दे
मिथे वींकू अर वींथे मेरी गैल्या बणे दे...
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
“गढ़वाली इंडियन” दिनांक - २२-०५-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Thursday, May 17, 2012
ईं निरभे दारु न मेरु गौं मुल्क लूटी याली.
पीणु वाली की डुबे, बेचन्वालू की बणे याली..
पक्की बिकणी च बाजारों मा.
कच्ची बनणी च ड्यारों मा..
बणी मवसी ईं दारु न घाम लगे याली.
कविता जारी है...
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
“गढ़वाली इंडियन” दिनांक - १७-०५-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Friday, April 20, 2012
कर परिवर्तन आज
कर परिवर्तन आज समय बदल दे
चल आज जीवन का रूख बदल दे
नाम बदलना तू नीयत नही
काम बदलना तू जीरत नही
चल बढ़ा कदम अब मत ठहर
हो परिवर्तन तू कुछ कर गुजर
अंधविश्वास तू करना छोड़ दे
आडम्बरो को हे अब तू तोड़ दे
मत उलझ हे तू जाति धर्म में
ध्यान दे बस तू अब सुकर्म में
ना दौड़ हे तू ऐसे रुपये के पीछे
आ चल मिलकर प्रेम के पेड़ सींचे
ना किसी की बातों में तू बहकना
जो दिल में तेरे बस कर गुजरना
कविता जारी है..........
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -२०-०४-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Wednesday, April 18, 2012
गढ़वाली शायरी By: Anoop Rawat
हे मेरी दगिड्या तू मैं छोड़ी कख गैयी
बोल्यां वचन प्रेम का तोड़ी की कख गैयी
कैल भरमाई त्वेथे हे मेरी दगिड्या
माया वैरी दुनिया का ब्वल्या मा न ऐयी
सच्चू छौं मै तेरु माया कु हक़दार हे
बैठ्यों छौं जग्वाल झठ बौडी की ऐयी...
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
Tuesday, April 17, 2012
बैशाख कु मैना बौडी फिर ऐगे
बैशाख कु मैना बौडी फिर ऐगे
कौथिग उरेणा कु बगत फिर ह्वेगे
चला दगिड्यो कौथिग जयोंला
थोला मेलु मा खूब मौज उडोंला
हे कनि भली रंगत आयीं होली
प्यार भरी भेंट की भी रीत होली
दाना स्याणा ज्वान बैख आला
कौथिग मा सभ्या रंगी जाला
सजी धजी की बांद होली आणी
देखि औंला तौंकी मुखुड़ी स्वाणी
ताती - २ जलेबी पकोड़ी खौंला
बनी-२ का सौदा तब मुल्योंला
कौथिग मा चरखी मा बैठी जौंला
खूब मौज आज गैल्या करि औंला
थड्या चौफला छोपती हम लगोंला
बांदो का लस्का ढस्का देखि औंला
होलू घाम अगर बैठी जौंला छैलु
नि जैलू त बाद मा पछ्ताणु रैलु
बैशाख कु मैना बौडी फिर ऐगे
कौथिग उरेणा कु बगत फिर ह्वेगे
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१७-०४-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Thursday, April 12, 2012
आजा बैठ मेरी गाड़ी मा
आजा बैठ मेरी गाड़ी मा
त्वे अपड़ा मुलुक घुमौलु
कतगा प्यारी च रीत यख
चल त्वेथे हे मी दिखौलु
ऊँची निची छन डांडी कांठी
भली स्वाणी आयीं च बहार
घूमी ऐली मेरा गढ़-कुमाऊं
झट ह्वेजा हे तू गैल्या तैयार
सेलणी कु ठंडो-२ पाणी पेली
कोदा की रोटी चटनी खैली
छंछया भात झोली फाणु खैली
च्या मा भेली की कुटुकी लगेली
रुमुक दा लगलू रांसू मंड़ाण
थड्या चौफला खूब तब लगाण
ज्यूं भोरी नाचली तू मेरा गैल
औ दगिड्या खूब मौज उड़ाण
बाजूबंद लगाणी घास घसेनी
पाणी लेकी आंदी पाणी पनेरी
ग्वरेल होला डांड़यूं मा हे
मन लुभौन्या बांसुरी बजेनी
स्कुल्या छोरों की ठठा मजाक
सगोड्यों मा मचायीं च धाक
चोरी की काखड़ी मुंगुरी तू भी
ऐकि दगिड्या तू भी जा चाख
खूब लग्यां होला थोला मेला
तिमला पात मा जलेबी पकोड़ी
देवभूमि मा आयीं कनि रंगत
ऐजा दगिड्या तू भी रौडी दौड़ी
गाडी मा तेरा बाना हे दगिड्या
गढ़वाली कुमाउनी गीत लगौलु
मन भौन्या गीत त्वे सुणोलु
औ त्वे अपड़ा मुलुक घुमौलु
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१२-०४-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश
Tuesday, April 10, 2012
गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat
Thursday, April 5, 2012
कैकी खुद होली आज सताणी
कैकी खुद होली आज सताणी
घुट-२ बाडुली गौला मा लगाणी
होली क्या ऊं बाटा घाटों की
कभी हिटुणु सीखू छौ जौंमा
होली क्या ऊं डांडी काठ्यूं की
जू छन मेरा मुलुक गौंमा
होली क्या वै स्कूल की जख
पाटी ब्वल्ख्या ली जांदा छाया
या होली मेरा वै स्कूल की
जख बिटि इंटर पास काया
होली क्या ऊं डांडों की जख
गोरुं का दगिडी जांदा छाया
कखड़ी मुंगरी खूब भकोरी छै
गैल्यों गैल जब जांदा छाया
होली क्या ऊं पुंगिड्यों की
जख कभी होळ छौ लगाई
या होली ऊं बणों की जख
लखुडू का बाना मी छौ जाई
होली क्या ऊं थाडों की जख
कभी थड्या चौंफला लगाई
ब्यो बरात्यों मा जख कभी
पंगत मा बैठी की खाणु खाई
कैकी खुद होली आज सताणी
घुट-२ बाडुली गौला मा लगाणी
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०५-०४-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश
Monday, April 2, 2012
म्यारा मुलुक कभी ऐकि देख
म्यारा मुलुक कभी ऐकि देख
कनु प्यारु च मयारू मुलुक रे
मुलुक की प्यारी रीत ऐकि देख
कभी जरा यख बास रैकि देख
देशों मा कु देश मेरु गढ़ देशा
हरियाली छाई रैंदी यख हमेशा
कभी हैरा भैरा डांडा ऐकि देख
रंग बिरंगा छन फूल खिल्यां
देवभूमि मा मनखी छन बस्यां
डांडी कांठ्यूं मा कभी ऐकि देख
कुलें देवदार बांज बुरांश डाली
मेलु तिमला बेडू ऐकि खयाली
ठंडो मीठो पाणी कभी पेकि देख
थोला मेलू की स्वाणी आयीं बहार
ज्यूं भोरी की खतेणु प्यार उलार
ताती-२ जलेबी पकोड़ी खैकि देख
डाँडो ग्वरेल अर घास घस्यारी
रोल्युं जायीं होली पाणी पन्यारी
बांसुरी की भौण मा ख्वेकि देख
स्कुल्या छोरी छ्वारा छन कना जाणा
उकाल उंदार मा गरा बस्ता लिजाणा
ठठा मजाक उंकी जरा तू ऐकि देख
थाडों मा लग्युं च रे रांसू मंडाण
थड्या चौंफला छौंपती मा नचाण
बार त्योंहारों की रौनक ऐकि देख
घ्यू दूध की छरक यख हूंद भारी
कोदा रोटु धन्या की चटनी प्यारी
छंछ्या झोली फाणु कभी खैकि देख
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०२-०४-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Wednesday, March 28, 2012
घस्यारी (पहाडा की)
ऊँचा निचा डांड्यू जाणी होली घस्यारी
होली माँ बेटी काकी बोडी दीदी भुली ब्वारी
घासा का बाना जांदी मेरा पहाडा की नारी.
मुंड मा परांदा बध्युं होलू कमर मा ज्युडी
हाथ मा होली सजणी छुनक्याली दाथुड़ी
पलान्या मा बैठी की दाथुड़ी थै पल्याली
स्वामी की खुद मा कभी बाजूबंद लगाली
क्वी भरणी होली गड़ोली क्वी बंधिणी पूली
क्वी होली गैल्यों गैल ता क्वी होली यखूली
तीसालू होलु सरैल अर भूख लगणी होली
अपरी खैर भूली, स्वामी की सोचणी होली
दूर डांड्यू बीटी मैत देखि की याद च आणी
मैता की भी होली भारी वीं थै खुद सताणी
जुगराज रैयी तू सदानी हे पहाडा की घस्यारी
रावत अनूप करदू नमन त्वेकू हे पहाडा नारी
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -२८-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Monday, March 19, 2012
ऐ मेरे भारत देश महान
ऐ मेरे भारत देश महान
कुछ तो ले अब जरा संज्ञान
१०० में से ९९ नेता बेमान
रोज ले रहे जनता की जान
देख बढती ही जा रही महंगाई
जायजा ले ले जरा अब तो
क्या न देखने की कसम है खाई
देख जरा कैसी बीमारी है आई
कैसे कट रही है ये जिंदगी
देख जरा गरीबों की लाचारी
और मजे से जी रहे हैं यहां
देख जनता के लुटेरे भ्रष्टाचारी
प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ रही है
मुश्किल से जिंदगी कट रही है
नेताओं के चक्कर में यहां अब
इस देश की जनता बंट रही है
देख कैसी-२ बीमारी फ़ैल रही है
जनता मर-२ कर सब झेल रही है
जिनके हाथ में सौप दिया उपाय
देख तो वो इनसे कैसे खेल रही है
घर से बाहर निकलते ही यहां
अब तो रोज रिश्वत लगती है
भ्रष्टाचारियों से लुटे बगैर अब
जिंदगी यहां सबकी तो कटती है
बचपन सड़कों पर कट रहा है
जवानी बेरोजगारी में जी रहा है
बुढ़ापा दर-दर ठोकर खा रहा है
ए भारत माँ देख क्या हो रहा है
कहीं इतिहास न बन कर रह जाये
जाग जा खतरे में है तेरी महिमा
इस देश में नेता अब देख तो जरा
कैसे कुचल रहें रोज तेरी गरिमा
बढ़ रहे हैं रोज अब तो अत्याचार
सुन ले अब तो जनता की सीत्कार
खोल आँखें और कान जरा अब तो
सुन ले रावत अनूप की ये पुकार
ऐ मेरे भारत देश महान
कुछ तो ले अब जरा संज्ञान
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१९-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
जन्मदिन की बधाई पर कविता
आपके जन्मदिन की शुभ वेला,
लगा बहारों का है मेला।
आपकी खुशियों से खुश होकर,
मौसम भी लगता अलबेला॥
मौसम भी कैसा हो गया सुहाना,
क्योंकि आपका जन्मदिन था आना।
झूम झूम कर सारी दुनिया गाये,
जन्मदिन मुबारक आपको ये गाना।
देखो झूम रहा है सारा आसमान,
सदा खुश रहे आपका ये जहान।
खुश रहो सदा दुआ है हमारी,
पूरे हो आपके हमेशा सारे अरमान।
यूं ही जन्मदिन आपका आता रहे,
हर वर्ष आपको यूँ ही हर्षाता रहे।
जीवन हो मस्ती से पूरित आपकी
गीत खुशी के यूं ही गाता रहे॥
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१९-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Friday, March 16, 2012
रुपया हो गया अठन्नी और अठन्नी गायब (मंहगाई)
बढती ही जा रही है मंहगाई देखो भाई साहब
रुपया हो गया अठन्नी और अठन्नी गायब..
हर पल आम आदमी को यह तो सता रही है
तेज गति से रोज मंहगाई देखो दौड़ रही है
हर किसी के दामन से खुशियाँ छीन रही है
खून आम आदमी का अब ये निचोड़ रही है
आमदनी है अठन्नी, तो घर खर्चा है रुपय्या
घरवाली बोले और चाहिए रुपये ओरे सैय्यां
कैसे पार लगाऊ मैं अब अपने घर की नैय्या
कैसे कटे जिंदगी अब आप ही बताओ भैय्या
पहले प्याज काटो तो तब ही आंसू आते थे
अब तो प्याज का भाव सुनकर आ जाते हैं
एक टमाटर को अब चार सब्जी में खाते हैं
मंहगाई घटना तो गुजरे ज़माने की बातें हैं
वादे करके सारे नेता हो गये देखो कैसे गोल
अब तो हर रोज बढे है गैस, डीजल, पेट्रोल
मंहगाई का रस जिंदगी में ऐसे न अब घोल
कैसे होगा सब ठीक अब हे प्रभु कुछ बोल
पढ़ना लिखना भी हो गया है अब तो महंगा
स्कूली ड्रेस, बस्ता, पेन सब हो गया महंगा
तन ढकना भी मुश्किल हो गया है अब तो
कमीज पैंट धोती कुरता चुनरी और लहंगा
नमक महंगा तो शक्कर हो गयी नमकीन
कम होगी मंहगाई सरकार बस बजाये बीन
मुश्किल से हो पाए दो वक्त की रोटी का गुजारा
सब हो गये हैं कैसे इस बीमारी से दीन-हीन
न जाने किस जन्म की गलती की है सजा
दिन रात पड़े है अब तो यह महंगाई की मार
नमक छिड़कने ऊपर से आ जाये भ्रष्टाचार
सजा मिले किसी को तो कोई और कसूरवार
हे प्रभु रावत अनूप करे बस इतनी सी विनती
इस मंहगाई डायन से हमको लो अब बचालो
हमारे जीवन की गाड़ी अब पटरी पर लगालो
कलयुग में कोई चमत्कार अब तो करवालो
बढती ही जा रही है मंहगाई देखो भाई साहब
रुपया हो गया अठन्नी और अठन्नी गायब..
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१६-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Thursday, March 15, 2012
गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat
माया जब कैमा लगी जांदी
सरया-२ राती निंद नि आंदी
ओंटिडी चुप रैंदी माया मा
आँखी सब कुछ बिंगे जांदी
©2012 अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
Saturday, March 10, 2012
देखा मैंने उन्हें कुछ यूं
देखा मैंने उन्हें कुछ यूं...
सड़क किनारे कुछ ढूंढते हुए
कचरे के ढेर में कुछ तलाशते हुए
जल्दी थी हमें वहां से जाने की
और हम नाक बंद कर रहे थे
पर प्रसन्न से वो दिख रहे थे
वो अपनी रोजी रोटी ढूढ़ रहे थे
फ़ेंक दिया जिसे हम लोगों ने
उसे वो ध्यान से टटोल रहे थे
मिलता जैसे ही कुछ कूड़े में
वो लोग बहुत खुश हो रहे थे
कुछ बच्चे कुछ बूढ़े कुछ जवान
कूड़े के ढेर पर था सबका ध्यान
थैला था एक बड़ा सा यूँ हाथ में
एक डंडा भी था उनके हाथ में
कपडे थे उन लोगों के बड़े मैले
भर रहे थे वो कूड़े से अपने थैले
थैले होते जा रहे थे उनके भारी
हे प्रभु कैसी है ये गरीबी लाचारी
दिन भर कूड़े के ढेर पर बैठे हैं
रात को सड़क किनारे झोपडी में
न जाने कैसे वो जमीन पर सोते हैं
कभी हँसते, कभी किस्मत पर रोते हैं
हे प्रभु यह कैसा संसार रचा दिया
कोई राजा तो कोई रंक बना दिया
हे प्रभु बस इतना सब को देदो
कट जाये जिंदगी आराम से देदो
न कोई छोटा न कोई बड़ा हो यहां
भेदभाव का नामों निशां न रहे यहां
रच दो ऐसी लीला अब तो हे प्रभु
एक सा हो जाये ये सारा अब जहां
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१०-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Friday, March 9, 2012
चबोड़ (Fashion)
आजकल जमानु च चबोड़ कु
दूसरा से भलु दिखेणा कु होड़ कु
मेरा मुल्क मा भी फैली गे यु रोग
भारी चबोडया हूणा छन अब लोग
झणी कख बिटी आई यख भी ऐगे
टांग अपरा यख भी पसरण लैगे
नौना नौनी भारी चबोडया ह्व़े गैनी
अपड़ी रीत रिवाज सब भूली गैनी
नौनु कमाई की अठन्नी मेरु ल्यांद
अर ब्वारी बिचारी रुपया मेरी उडांद
पैली गरीबी मा पैनी लारा फट्या
और अब यु बल चबोड़ ह्वेगे रे ब्यटा
आंग अंगीडी फुर्क्याली घाघरी ख्वेगे
कुर्ता फते मुंड मा कि टोपली ख्वेगे
छोरा च की छोरी नि पछ्नेणु चा
नौ छन यनु कि कते नि बिंगेणु चा
चबोड़ पर खूब बनणा छन अब गीत
अर कखी खोणी च मेरा मुल्क कि रीत
चला दगिद्यो ये चबोड़ थे दूर भगौंला
अपरी संस्कृति हम मिली कि बचौंला
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०९-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Monday, March 5, 2012
होली आई रंगों का त्योहार
बसंत आया तो आई बहार
फाल्गुन लाया खुशियाँ हजार
होली आई रंगों का त्योहार
खुशियों से भरे घर संसार
गुजिया तलकर फिर बनेगी
दादी मम्मी फिर पूड़ी बेलेगी
बनेंगे नमकपारे व शक्करपारे
व्यंजन होंगे खाने को ढेर सारे
खेतों में फिर से हरियाली आई
ख़ुशी से नाचे सब किसान भाई
फूलों की फिर खूब खेलें होली
खुशियों से रंग गयी सूरत भोली
अबीर गुलाल रंग खूब लायें हैं
एक दूजे को रंगने सभी आये हैं
गीत होली के मिलकर गाये हैं
सबको यह दिन खूब भाये हैं
हाथों में है रंग से भरी पिचकारी
खुशियाँ आई हैं देखो ढेर सारी
चलो एक दूजे को रंग लगालो
खुशियों का पल है संग मनालो
न खेलो जुआ, ना पिओ शराब
यह सब खुशियाँ कर दें ख़राब
आओ हंसी ख़ुशी होली मनाएं
होली मुबारक सब मिलकर गाएं
सब लोगो को रावत अनूप की
होली की सपरिवार शुभकामनाएं
चलो आओ मित्रो इस पर्व को
आज हम सब मिलकर मनाएं
बसंत आया तो आई बहार
फाल्गुन लाया खुशियाँ हजार
होली आई रंगों का त्योहार
खुशियों से भरे घर संसार
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०५-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Wednesday, February 22, 2012
ना बांस तू घुघुती घूर-घूर
ना बांस तू घुघुती घूर-घूर
परदेश छन स्वामी दूर-दूर
मेरु सन्देश ली उडिजा फूर-फूर
फोटो देखि की मन थे बुथ्याणु
राजी ख़ुशी रयां देवतों मनाणु
ड्यूटी लगीं होली कश्मीर बोर्डर
दुश्मन ऐग्याई बल सरकारी ऑर्डर
सरेल मेरु यख मन उमा लग्युंचा
ज्यू पराण मेरु हे तौमा लग्युंचा
हम कुशल छावा चिंता नि कर्यान
स्वामी आप अपरू ध्यान धर्यान
फुर्र उडी जा दी ली जा मेरु संदेशा
तुम दगडी राली मेरी माया हमेशा
लड़े जीती की स्वामी घार अयान
गढ़वाल रायफल कु मान रख्यान
जीती आवा झठ बैठ्यों छौं जग्वाल
दगडी खेलला स्वामी इगास बग्वाल
ना बांस तू घुघुती घूर-घूर
परदेश छन स्वामी दूर-दूर
मेरु सन्देश ली उडिजा फूर-फूर
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -२२-०२-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Wednesday, February 15, 2012
कब होगी फिर वो सुबह
कब होगी फिर वो सुबह
देश मेरा बदल जायेगा
राम राज्य फिर से आयेगा
कब मिटेगी यहाँ गरीबी
भेद भाव छोड़कर सब
होंगे एक दूसरे के करीबी
कब छोड़ेंगे डर-२ कर
इस देश के लोग जीना
आतंकवाद रहे कहीं ना
नेताओं के वादों में जब
फिर कोई ना फंसेगा
ईमानदार को जब चुनेगा
छोड़ देंगे वैर भाव सब
होगी वो हसीन सुबह कब
जिंदगी खुश होगी तब
गीत खुशियों के गायेंगे
फूल खुशियों के खिलेंगे
सारे दुःख दर्द जब मिटेंगे
मिलाओ कदम से कदम
आओ शपथ ले आज हम
वो सुबह लेकर आयेंगे हम
कब होगी फिर वो सुबह
देश मेरा बदल जायेगा
राम राज्य फिर आयेगा
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१५-०२-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Tuesday, February 14, 2012
वेलेंटाईन डे पर हास्य कविता
सभी कहे इस को प्यार का दिन
कहें नही जी सकते हम तुम बिन
प्रीत की रीत ऐसी हो आयी
आज अपनी कल हो जाये परायी
आज एक तो कल दूसरी फँसायी
पसंद आयी तो साथ ले भगायी
चाँद तारे तोड़ने की करते हैं बात
रूठकर छोड़ देते हैं पल भर में साथ
इनको मतलब पता नही प्यार का
खेल समझते हैं इसे ये इकरार का
आज यह तो एक फैशन हो गया है
लवर नही तो इनको टेंशन हो गया है
भारतीय पर्वों से ज्यादा इसे मनाते
माँ बाप के मेहनत के रुपये हैं लुटाते
रीत अपनी छोड़कर दूसरी अपनायी
हे प्रभु यह प्रीत की रीत कैसी हो आयी
सर्वाधिकार सुरक्षित © iamrawat
अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड
दिनांक - १४-०२-२०१२ (मंगलवार)
Monday, February 13, 2012
अबकी बार जब मी गयुं घार
अबकी बार जब मी गयुं घार
कुछ सूनु सी लगी मिथे गौं गुठ्यार
खाली - खाली छै मेरी छज्जा तिबार
जब नजर फेरी मिन वार प्वार
तबरी पल्या खोला की बोडी
दिखे ग्यायी मिथे गैल्यो हफार
पूछी मिन किले हे बोडी
छन यु गौं गुठ्यार खाली - खाली
बोडी बोली यनी छन वल्या पल्या छाली
सबकू काम मा साथ देणु वालू
सरया गौं मा एक चतरू ही छायी
यनी बीमारी लगी की वी भी नि रायी
कुड़ी पुन्गुड़ी लोग छोड़ी चलि गेनी
गौं का गौं अब ता रीता ह्वेगेनी
पुन्गुड़ी बांजी अर कुड़ी उजदडा ह्वेगेनी
मल्या खोला का भगतु न भी
अबकी बार झणी बारा कैरी याली
उ भी नौकरी का बान परदेश चलि ग्यायी
बुढया लोग ही रैगेनी अब ब्यटा घार मा
ज्वान बैख सब चलि गेनी परदेश मा
बैठ्या छावा कब आला हम भी सार मा
सूनी ह्वेगेनी ब्यटा जन्दरी उरख्याली
परदेश मा बसी गेनी झणी किले सब उत्तराखंडी
सभ्या मेरा सगी सम्बन्धी कुमाउनी अर गढ़वाली
मिन बोली बोडी चल सब ठीक ह्वे जालु
आली जब यार घार की तब लौटी की आला
जख भी राला सभी एक दिन जरूर आला...
अबकी बार जब मी गयुं घार
कुछ सूनु सी लगी मिथे गौं गुठ्यार
खाली - खाली छै मेरी छज्जा तिबार
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१३-०२-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Friday, February 10, 2012
मेरी भैंसी मरख्वाली
मैकु मुंडारु कनि च या मेरी भैंसी मरख्वाली
ईना सरया गौं गुठ्यार मा बबाल मचैयाली..
बाटा की छन्नी च मेरी बाटू ईन घेरी याली
क्या बिंगो मैकू कतगा आफत करियाली..
ब्याली ईन गौं की प्रधानी बौजी दयाई मारी
प्रधान भैजी न मिथे सुणे गाली खूब खारी..
यनी मरख्वाली च कि कैल नि या लिजाणी
ईन करी याली मेरी सेणी खाणी निखाणी..
पाणी खाणा कु या जब रौली गदिन्यों जांदी
ल्वगों का गोरों थे या वख मरणी लगी रांदी..
हारू धारू घास पाणी इन्कू सब कुछ चयेंदी
दूध का नाम पर या त ल्वथ्या भर ही देंदी..
मैकु मुंडारु कनि च या मेरी भैंसी मरख्वाली
ईना सरया गौं गुठ्यार मा बबाल मचैयाली..
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१०-०२-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Thursday, February 9, 2012
कै दिन मैना सालों बिटिन अपडा मैत्या मुल्क नि गायी
कै दिन मैना सालों बिटिन अपडा मैत्या मुल्क नि गायी
धारा मंगरूं, बांजा जड्यूं कु ठंडो मीठो पाणी नि प्यायी...
कनि होली व मेरी कुड़ी पूंगुडी मेरी छन्नी छज्जा तिबारी
जौं बाटों मा हिटणु सीखू कब हिटलू ऊमा फिर सरासारी..
झणी कब बिटि नि देखि मिन चैता कु फूल्यों लाल बुरांश
घुघूती की घुर घुर, कफुआ, मोर, बणों मा बंसदी हिलांश..
किन्गोड़ा हिंशोला नि खायी, बेडू, मेलु, तिमला की दाणी
छंछ्या पल्यो बाड़ी, प्याज अर कंडली की भुज्जी स्वाणी..
बांदो का गीत नि सूणा, बाजूबंद, थड्या, चौंफला ऊ गीत
थाडो मा नाचणा की कनि प्यारी च व मेरा मुल्क की रीत..
उ सारयूं मा काम काज, रोपणी, बाणी कमाणी नि कायी
छैलू मा बैठी की, प्याज पिरान्यां कोदा कु रोटु नि खायी..
ब्यो बरात्यों मा पंगत मा बैठी की खाणु, अर रांसू मंडाण
स्याल्यूं का दगडी ठठा मजाक, अप दगडी उ खूब नचाण..
झणी कब बिटि की गैल्यों गौं का थोला मेलु मा नि गायी
दगिद्यों दगडी पात मा ताती - २ जलेबी पकोड़ी नि खायी..
कब जौंलू मी देवभूमि मा अपड़ा स्वाणा रौंतेला गढ़ देश
नि रयेंदु अब यख ता, विराणु सी लगदु गैल्यों यु परदेश..
कै दिन मैना सालों बिटिन अपडा मैत्या मुल्क नि गायी
धारा मंगरूं, बांजा जड्यूं कु ठंडो मीठो पाणी नि प्यायी...
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०९-०२-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Monday, February 6, 2012
चल तू मेरा ढांगा रे
चल तू मेरा ढांगा रे
बैदे जरा द्वि फांगा रे
तेरी गुसैण आणि च
त्वेकू पींडू ल्याणि च
तेरु मेरु ख्याल रखद
व त मेरी स्याणि च
त्वी छै मेरु धन सारु
रोजगार त्वी छै म्यारू
तभी आण रे दवे दारु
तबि त हूण रे गुजारु
काम काज कु बगत
फिर बौडी की ऐगे रे
सारी पुन्गिद्यों मा हे
बै - बूते शुरू ह्वेगे रे
मी हल्या तू ब्वल्द
बांजा करि दे चल्द
अनाज हमन उगान
सरया दुनिया ब्वल्द
पुन्गिडी छं ऊँची नीचि
ढुंगी देखि की तू खींचि
नाज उगी जालु जब
फिर दयोंला वै सींचि
अनाज मेरु बाकी तेरु
हारू भारू हे घास सैरु
गैल्या सूण टक्क तू
सदनी कु साथ तेरु मेरु
चल तू मेरा ढांगा रे
बैदे जरा द्वि फांगा रे
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०६-०२-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Thursday, February 2, 2012
कभी सोचता हूँ दोस्तों मैं भी नेता बन जाऊं
कभी सोचता हूँ दोस्तों मैं भी नेता बन जाऊं.
किसी का करूँ न करूँ अपना भला कर जाऊं.
आम रहकर कुछ कर पाऊँ या न कर पाऊं.
नेता बनकर मैं शायद बहुत कुछ कर जाऊं.
हाथ जोडू पहले मैं फिर ओरों से खूब जुड़वाऊं.
किसी भी तरह अपनी साफ छवि मैं दिखलाऊँ.
अपने पीछे पीछे घूमने वाले मैं चमचे बनाऊं.
अपनी जय जयकार तब रोज मैं भी करवाऊं.
ईमानदार रहकर मैं कुछ शायद न कमा पाऊं.
भ्रष्ट बनकर शायद विदेशों में खाता खुलवाऊं.
वादों की झड़ी लगाकर जनता को मैं रिझाऊं.
जीतने के बाद मैं भी अपनी शक्ल न दिखाऊं.
कभी इस दल में कभी उस दल में मैं भी जाऊं.
कोई टिकट न दें तो निर्दलीय ही मैं उतर जाऊं.
छोटे से घर में रहता हूँ मैं भी बंगला बनवाऊं.
काम काज के लिए तब मैं भी नौकर रखवाऊं.
लालबत्ती वाली गाड़ी तब मैं भी खूब घुमाऊँ.
बड़े - बड़े अफसरों से मैं भी सलामी करवाऊं.
कभी - कभी गरीबों में मैं भी कम्बल बट वाऊं.
और किसी भी तरह अपना वोट बैंक मैं जमाऊं.
कुर्ता पायजामा मैं पहनू टोपी ओरों को पहनाऊं.
कभी यहाँ तो कभी वहाँ मैं भी रैली खूब करवाऊं.
पर अंत में सोचता हूँ दोस्तों कैसे नेता बन पाऊं.
बनने के लिए पर मैं इतना रुपया कहां से लाऊं.
फिर सोचता हूँ दोस्तों मैं अपनी कलम ही चलाऊं.
खूब लिखूं इन सब पर मैं सबको बात समझाऊं.
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०२-०२-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Tuesday, January 31, 2012
मेरु मुल्क मेरु पराण
सुण रे दिदा गीत मिन सदानी गाण
उत्तराखंड च हे मेरु मुल्क मेरु पराण
पंच प्रयाग, पंच बद्री केदार छन यख
देवभूमि मेरु पहाड़ देवों कु वास यख
गंगोत्री यमनोत्री, भागीरथी मैत जख
धन भाग हमरु जु हम जन्म लेनी यख
ऊँची निची डांडी कांठी छन हैरा बुग्याल
चम चम चमकणु स्वाणु ऊँचो हिमाल
मनखी बस्यां छन वल्या पल्या छाल
रंगीलो कुमाऊ मेरु छबीलो गढ़वाल
लएयां पैयां फ्योली फूली बांज बुरांश
कफुआ मोर घुघूती बसणी च हिलांश
कनु भलु लगदु यख बरखुंदु चौमास
बेडू पक्यां रैन्दन यख त हे बारामास
हिंशोला किन्गोड़ा काफल तिमला दाणी
सेव अनार आम माल्टा नारंगी की दाणी
छ्वाल्या धारा मंगरू कु ठंडो मीठो पाणी
मेहनत भारी होंदी यख खाणी कमाणी
वीरों भडु कु मेरु बावन गढ़ों कु देशा
देश का बाना म्वारणा कु तैयार हमेशा
मेरा कुमाऊ गढ़वाल रैफल का जवान
बोर्डर पर छन कमर कसी देश का बान
ज्यू पराण मेरु कखी होरी नी लगदु
पुनर्जन्म हो त यखी फिर मी मंगदु
हे प्रभु सुणि ले रावत अनूप की पुकार
कुशल राखी सदानी मेरु गौं गुठ्यार
सुण रे दिदा गीत मिन सदानी गाण
उत्तराखंड च हे मेरु मुल्क मेरु पराण
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -३१-०१-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
Saturday, January 28, 2012
बसंत ऋतु फिर बौडी ऐगे
देखा गैल्यों बसंत ऋतु फिर बौडी ऐगे.
डांडी काठ्यूं मा फिर हरियाली छैगे...
फूल पाती कनि सजिणी छि देखा हफार.
बौडी की ऐगे फिर घर-बणों मा मोळ्यार..
चखुला भी देखा कना रंगमत फिर ह्वेगेनी.
बनी - बनी की आवाज पहाड़ों मा छैगेनी..
रूडी आई छौ सब अप दगिडी लीगे छौ.
फिर ह्युंद मा सब थर थर कौन्पीगे छौ..
रंग रंगीली बहार मा ब्वाला हे झुमैलो.
थड्या चौफला आज ज्यूँ भोरी की खेलो..
सारी पुन्गिदियों मा काम कु बगत ऐगे.
हैल, कुटुलू, दथुड़ी सब तैयार फिर ह्वेगे..
लइयां पैयां फ्योली फूली बांज बुरांश.
कफुआ मोर घुघुती बसिणी हिलांश..
देखा गैल्यों बसंत ऋतु फिर बौडी ऐगे.
डांडी काठ्यूं मा फिर हरियाली छैगे...
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन " दिनांक -२८-०१-२०१२
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Wednesday, January 25, 2012
तुम्हारी माया मा
तुम्हारी माया मा बौल्या ह्वेग्युं मी हे छोरी देस्वाली.
ज्वानी की रौंस मा लतपथ बणी चा छोरी देस्वाली.
माया मा इन्कु अलझे ग्यायी छोरा 'अनु' गढ़वाली.
संभाली की भी नि सम्भलेंदी या निर्भे ज्वानी हाँ.
मेरु चित मन चोरी ली ग्यायी मुखुड़ी स्वाणी हाँ.
झणी किले यु दिल करुनु रेंद विंकि ही जग्वाली.
माया मा इन्कु अलझे ग्यायी छोरा 'अनु' गढ़वाली.
दिखेण मा सरम्याली सी पर नखरा छन हजार.
क्या दन लगदी या बांद जब करदी सज श्रृंगार.
ईं बांद कु रंग रूप न मेरु चित मन चोरी याली.
माया मा इन्कु अलझे ग्यायी छोरा 'अनु' गढ़वाली.
मीठु बुलाणु गैल्यों गैल इन्कु मुल मुल हैन्सणु.
अर चोरी चोरी नजर बचे की मिथे इन्कु देखणु.
दिल मा विंकि भी मेरु ख्याल मैन यु जाणियाली.
माया मा इन्कु अलझे ग्यायी छोरा 'अनु' गढ़वाली.
ओंठडी चुप रैंदी मायामा पर आँखी सब बिगान्दी.
दुनिया दुश्मन होंन्दी माया की पर डर नि रांदी.
होलू जू भी दिखे जालू मिन भी यु अब ठरियाली.
माया मा इन्कु अलझे ग्यायी छोरा 'अनु' गढ़वाली.
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन " दिनांक -२५-०१-२०१२
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Monday, January 23, 2012
२६ जनवरी गणतंत्र दिवस
२६ जनवरी गणतंत्र दिवस फिर से आयी है.
इंडिया गेट राजपथ पर परेड होने आयी है..
देश की विभिन्न संस्कृति देखने को मिलेगी.
जब झाकिंयां हर राज्य की फिर से आयेगी..
जाबांजी दिखाने फिर सेना के जवान आयेंगे.
हर रायफल के जवान परेड करते जब आयेंगे..
स्कूली बच्चे भी अपना हुनर दिखाने आयेंगे.
सेना के जवानों से कदम से कदम मिलायेंगे..
देखेगी सारी दुनिया राजपथ से शक्ति हमारी.
जय जयकार होगी हिंदुस्तान की तब भारी..
देश के शहीदों को याद करेंगे जयकार होगी.
देशभक्ति गीतों की भी साथ में भरमार होगी..
भारत माता की जय जयकार के नारे गूंजेंगे.
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सभी भाई आयेंगे..
शपथ लें सब आज मिलकर देश को बचाना है.
इस देश की खातिर हमको मर मिट जाना है..
जय भारत, भारतीय एकता, जय हिन्दुस्तान.
जय जवान, जय किसान, जय हो विज्ञान...
भारत माता की जय वन्देमातरम् इन्कलाब जिंदाबाद
महात्मा गाँधी अमर रहे, राष्ट्रीय एकता जिंदाबाद...
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन " दिनांक -२३-०१-२०१२
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Friday, January 20, 2012
शायरी - अनूप रावत
राती ह्वेगेन मेरी आजकल सुपन्याली.
जब से देखीं तुम्हारी आंखीं रतन्याली.!
कनि स्वाणी दिख्यांदी मुखुड़ी मयाली.
बौल्यें ग्युं माया मा तुम्हारी हे लथ्याली.!
©अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक - 20-01-2012 (इंदिरापुरम)
Wednesday, January 18, 2012
हे बांद तेरा रूप देखिकी
हे बांद तेरा रूप देखिकी सची मैं त बौल्ये ग्यूं.
झणी क्या जादू करी तिन, माया रोगी ह्वेग्यूं...
पैली भी देखी मिन कै बांद पर त्वे जनि नि देखी
मेरु चित मन अब मैमा नि राई लीगे तू चुरैकी..
धन वै बिधाता कु हे बांद जैन त्वेई बनाई होलू.
तेरु रंग रूप बणान मा हे कै बगत लगाई होल़ू..
दिन कु चैन ख्वेगे मेरु रात्यूं की निंद उडि ग्याई.
खित - 2 हैसणु मिठु बुलाणु मन मा बसी ग्याई..
गला हँसुली नाक नथुली कानों कुंडल सज्या छां.
ज्वान बैख बौल्या बन्या बुढ्यों ज्वानी आयीं चा..
गैल्यान्यूं गैल सजी धजी की थौला मेलू आंदी.
लाखों हजारों मा तू हे बांद अलग ही दिख्यांदी..
साँची माया त्वैमा मेरी त्वेथे मै बिन्गाणु छौं.
त्वे ही ब्योली बणान मिन ब्वे-बुबों मनाणु छौं.
हे बांद तेरा रूप देखिकी सची मैं त बौल्ये ग्यूं.
झणी क्या जादू करी तिन माया रोगी ह्वेग्यूं.
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन " दिनांक -१८-०१-२०१२
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Tuesday, January 17, 2012
धन धन हे मेरा पहाडा की नारी
खैरी दुःख विपदा छन त्वैकू भारी.
जनु भी होलू हे हिक्मत ना हारी..
धन धन हे मेरा पहाडा की नारी...
भेलू पखाण, डांडी कांठी घासा कु जांदी.
स्वामी जी की खुद मा, बाजूबंद लगान्दी.
सासु बेटी ब्वारी होली पहाडा घस्यारी..
धन धन हे मेरा पहाडा की नारी...
रौली गदिन्युं छ्वाल्या मा पाणी कु जांदी.
बांजा जाड्यूं कु ठंडो मीठो पाणी ल्यांदी.
मुंडमा धैरी कसेरी आणी होली पन्यारी..
धन धन हे मेरा पहाडा की नारी...
सारी पुन्गिदयूं मा रोपणी कु जाणु.
दुध्याल नौन्याल थे ऐकि बुथ्याणु.
काम काज होलू न्यरी द्वि सारी..
धन धन हे मेरा पहाडा की नारी...
प्याज पिरन्यां कंडली की भुज्जी पकाली.
कुशल रख्यां स्वामी परदेश देवतों मनाली.
बौडी आला स्वामी अबकी बारी..
धन धन हे मेरा पहाडा की नारी...
हर रूप मा तेरु ही नौ चा हे लथ्याली.
माँ बेटी ब्वारी बोडी काकी अर स्याली.
तीलू रामी गोरा ह्वेन यख महान नारी..
धन धन हे मेरा पहाडा की नारी...
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन " दिनांक - १७-०१-२०१२
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
Thursday, January 5, 2012
परदेश मा छौं गौं की याद औणी चा
परदेश मा छौं गौं की याद औणी चा.
ठंडा का मारा हथ खुटी कौंपणी चा.
ह्यून्दा कु मैना, भारी जड्डू हुयूंचा.
भैर देखा कनी कुयेडी लौंकिचा...
परदेश मा छौं गौं की याद औणी चा.
घौर मा रैंदु ता डांडियों मा जांदु.
छित्कुंडा, बांजा की डाली ल्यांदु.
हथ खुटी अपरी तब खूब तपै लेंदु.
ये जड्डू मा इनु नि म्वारुनु रैंदु..
द्वि रुप्युं का बाना घार छोड्यूं चा.
अपडूं से म्यारू मुख मोड्युं चा.
यखुली छौं यख खुदेणु छौं मी.
यादों मा अपडूं की रोणु छौं मी.
घार यूँ दिनों भट्ट भूजी की खाणु
छंछ्या पल्यो बाड़ी झ्वली फाणु.
दै दगड़ी निम्ब्वा की कछ्मोली.
च्या का दगड़ी भेली की डौली..
तिबारी मा बैठी की घाम तपणु
गैल्यों का गैल उ हैसणु खेलणु.
डांडियों मा उ सफ़ेद ह्यूं पोडणु.
अब परदेश मा कख बटी देखणु.
घुट घुट गौला मा भडुली लगणी चा.
बीत्यां दिनों की फिर याद औणी चा.
परदेश मा छौं गौं की याद औणी चा.
सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन "
इंदिरापुरम, गाजियाबाद
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