Sunday, October 30, 2011

मेरु गौं

ऊँचा निचा डांडयूँ का बीच बस्युं च मेरु गौं
कनु भालू स्वाणु च दगिदयो मेरु गौं.

छ्वाल्या मंगरू कु ठंडो मीठो पाणी
आम सेव काफल तिमला की दाणी
अहा क्या बिंगो कनु प्यारु च मेरु गौं

घास घसेनी बाजूबंद लगानी जख
डांडयूँ माँ ग्वरेल बांसुरी बजान्दा वख
अहा थोला मेलु माँ रंग्यु होलू मेरु गौं

सारी पुन्गिदयों माँ कम काज लग्युं
सब का सब देखा कनु काम लग्युं.
अहा पसीना मेहनत कु लतपथ मेरु गौं
ऊँचा निचा डांडयूँ का बीच बस्युं च मेरु गौं
कनु भालू स्वाणु च दगिदयो मेरु गौं.

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन "
इंदिरापुरम, गाजियाबाद

Thursday, October 27, 2011

कनु जमानु ऐगे कतगा बदलेगी आज

कनु जमानु ऐगे कतगा बदलेगी आज
भूली गेनी लोग अपरी रीति रिवाज..

ढोल दमोऊ झणी कख हर्ची गायी
मसुबाज रणसिंघा झणी कख गायी
नया जमानु कु ऐगे डी. जे. आज..
कनु जमानु ऐगे कतगा बदलेगी आज
भूली गेनी लोग अपरी रीति रिवाज..

छंच्या बाड़ी झोली झणी कख गायी
चौमीन पिज्जा बर्गर झणी क्या आयी
खाणु पीणु सब कुछ बदिलेगे आज..
कनु जमानु ऐगे कतगा बदलेगी आज
भूली गेनी लोग अपरी रीति रिवाज..

घास घसेनी गोरु का ग्वेरेल ख्वेगे
चिठ्ठी पत्री रंत रैबार कख ख्वेगे
नै जमानु कु मोबाइल ह्वेगे आज..
कनु जमानु ऐगे कतगा बदलेगी आज
भूली गेनी लोग अपरी रीति रिवाज..

अंग अंगडी फुर्क्याली घाघरी ह्वेगे गोल
कुर्ता फते मुंड मा कु टोपला ह्वेगे गोल
जींस टॉप झणी क्या-२ ऐगे आज..
कनु जमानु ऐगे कतगा बदलेगी आज
भूली गेनी लोग अपरी रीति रिवाज..

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन "
इंदिरापुरम, गाजियाबाद