Sunday, July 27, 2014

गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत


मुल-मुल हैंसी की किलै भरमांदी.
छ्वी लगाणा कु तू बानु खुज्यांदी.
मन की मन मा किलै तू दबांदी.
प्रीत च त हे छोरी किलै नि बिंगांदी.

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
दिनांक – २७-०७-२०१४ (इंदिरापुरम)

Tuesday, July 8, 2014

गढ़वाली शायरी

न लगो तू मिठी-मिठी छ्वीं बता,
तेरी छुयों मा अलिझे नि जों कखि.
बौल्या समझुणु रों जमानु मिथे,
अर मैं त्वैमा माया लगाणु रों कखि..

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ०४-०९-२०१३ (इंदिरापुरम)

गढ़वाली शायरी - ASR

कॉलेज का दिनों की छोरी,
आज भी प्रीत त्वैमा ही चा।
फेसबुक ट्विटर कु पासवर्ड,
सची अब भी तेरु ही नौ चा।।

- अनूप सिंह रावत "ASR"

Tuesday, July 1, 2014

मायादार रूपसी मेरी

मायादार रूपसी मेरी कख बिटिन ऐयी होळी।
रंगरूप कु स्यू खजानु कख बिटिन पै होळी।।
त्वे बणोंन बिधाता न क्वी कसर नी छोडि होळी।
मायादार रूपसी मेरी कख बिटिन ऐयी होळी।।

Song Continues...
© अनूप सिंह रावत 06-06-2014
ग्वीन मल्ला, गढ़वाल (उत्तराखंड)