Wednesday, January 28, 2015

गीत : जीवन की गाड़ी धकेले

जीवन की गाड़ी धकेले रे मनखी, बाटू च अभी बडू दूर.
भाग मा त्यारा जू कुछ भी होलू, एक दिन त्वे मिललू जरूर.
करम करदी जा, धरम करदी जा ...................

अधर्म कु बाटू भेल ली जांदू, धर्म कु बाटू स्वर्ग मा जांदू.
जैका जनि कर्म हे मनखी, फल भी दगिद्या ऊनि पांदू.
जाति-पांति सब भेदभाव छोड़, सब च वै विधाता की नूर.
जीवन की गाड़ी ....... भाग मा त्यारा ..........

फूलों कु बाटू बण्यूं च त्वेकू, कांडों का बाटा किलै छै जाणु.
सब कुछ पाके भी से बाटा मनखी, त्वेन कभी सुख नि पाणु.
दया धर्म कु बाटू जा रे मनखी, ना बण तू हे इतगा क्रूर.
जीवन की गाड़ी ....... भाग मा त्यारा ..........

बगत कभी रुक्युं नि रांदु, आदत येकी भी मनखी जनि च.
सब कुछ च त्वैमा हे मनखी, बस एक धीरज की कमि च.
मनखी चोला माटा कु च रे, चखुलू सी उड़ी जालू फूर.
जीवन की गाड़ी ....... भाग मा त्यारा ..........

रंग ही नि हुंदू फूलों की पछ्यांण, कांडों ना भी पछ्यांण हुंद.
रंग रूपल नि पछ्नेंदु मनखी, वैका कर्मों न पछ्याण हुंद.
प्रेम कु कल्यों त्वैमा रे मनखी, बांटी सकदी बांटी ले भरपूर.
जीवन की गाड़ी ....... भाग मा त्यारा ..........

पालू सदानी नि रैंदु चमकुणु, घाम आण मा सर्र गैली जान्द.
पाप की गठरी नि बाँध रे, पाप कु घाडू फट्ट फूटी जान्द.
अहम् छोड़ी दे रे दगिद्या, न कैर मनखी तू भंड्या गुरूर.
जीवन की गाड़ी ....... भाग मा त्यारा ..........

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – २८-०१-२०१५ (इंदिरापुरम)

Saturday, January 17, 2015

गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत

*** गढ़वाली शायरी ***
फूलों थैं क्या देखण, त्वे देखियाली.
भोली अन्वार तेरी, दिल मा बसैयाली.
प्रीत लागी गे, हे सुवा त्वैमा मेरी.
सबका सामणी आज, मिन बोलियाली..

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – १७-०१-२०१५ (इंदिरापुरम)

Monday, January 5, 2015

गीत : बाजूबंद गीत गाणी हो

गीत : बाजूबंद गीत गाणी हो

दाथुड़ी लेकि घासा कु जांदी,
ग्वरेल छोरों की बांसुरी सूणी,
स्वामी की खुद मा खुदेणी हो.
वा बैठी डाल्युं का छैल,
घास घसेन्यों का गैल,
बाजूबंद गीत गाणी हो ...

कै दिन मैना बीती साल,
स्वामी बौडी घार नि आया,
पापी नौकरी का बाना,
द्वी जनों कु बिछड़ो हुयुं च,
स्वामी राजी ख़ुशी रयां,
देवतों थैं वा मनाणी हो ...

वा यखुली पहाड़ मा,
ऊनि काम काज सार्युं कु,
ऊनि दुध्याल नौन्याल,
स्वामी का खातिर वींकी,
घ्यु की ठेकी भोरियाल,
तू हिकमत ना हारी हो ...

आंखी थकी बाटू देखि-२,
दिन याद मा धक्याणी,
बुढ्या सासु ससुर की सेवा,
अपडू ब्वारी धर्म निभाणी,
धन त्वेकू पहाड़ा की नारी,
रै सदानी सुहागिणी हो ...

बाजूबंद गीत गाणी हो ...
बाजूबंद गीत गाणी हो ...

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ०३-०१-२०१५ (इंदिरापुरम)