Thursday, May 19, 2016

चकबंदी कु गीत लगै दे

:: चकबंदी कु गीत लगै दे ::

हे गीतांग दिदा, जरा चकबंदी कु गीत लगै दे।
गरीब क्रांति अभियान की, अलख गौं-2 जगै दे।।
हे गीतांग दिदा रे ... हे गितेर दिदा रे ... ।।1।।

कभि या बांद कभि वा बांद, कै त्वैन गिणे याली।
प्रेम गीत बनी-बनी का, त्वैन यूँ पर मिसै याली।।
एक गीत जरा अब तू, चकबंदी पर भी मिसै दे।
हे गीतांग दिदा रे ... हे गितेर दिदा रे ... ।।2।।

राजनीति कु जोड़ भाग, सब त्वैन हम समझें याल।
कैसेट बिके खूब बाजारों मा, ईनाम भी कमै याल।।
यनु ही गजब कु गीत, अब चकबंदी कु भी लगै दे।
हे गीतांग दिदा रे ... हे गितेर दिदा रे ... ।।3।।

द्यो-देवतों का जागर लगै, भूत-मसाण भी नचैली।
देश-विदेश जागरणों मा, त्वैन धूम खूब मचैली।।
एक घाण चकबंदी का नौ की, तू हुड़का घुरै दे।
हे गीतांग दिदा रे ... हे गितेर दिदा रे ... ।।4।।

नै-नै गितेर रे, तेरा खूब आणा डी.जे.वाला गीत।
कभी रॉक&रॉल, कभी पॉप, जौमा गजब संगीत।।
जनि तेरी मर्जी उनि एक गीत, चकबंदी कु लगै दे।
हे गीतांग दिदा रे ... हे गितेर दिदा रे ... ।।5।।

पलायन गर यनु ही हूणु रालु, ऐ उत्तराखंड बिटि।
कैकु गैली तू स्यु गीत, नि बजिणी तब तेरी सीटी।
चकबंदी की अलख जगै की, यों यखी रोकि दे।
हे गीतांग दिदा रे ... हे गितेर दिदा रे ... ।।6।।

गीतांग दिदा अनूप की बातों कु, बुरु न माणी रे।
पहाड़ कु प्रेमी च यु नादां त, यनि ऐकि गाणी रे।।
चकबंदी आंदोलन मा, अपड़ा गीतों से जान डाली दे।
हे गीतांग दिदा रे ... हे गितेर दिदा रे ... ।।7।।

© 11-02-2016 अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
ग्वीन मल्ला, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
www.iamrawatji.blogspot.in