Friday, September 19, 2014

गढ़वाली शायरी - @$R

सुपिन्यों मा आंदी, निंद चुरै कि ली जांदी.
तेरी मयाली मुखुड़ी देखी, जिकुड़ी धकद्यांदी.
तू छै बांदों मा की बांद, चांदों मा की चाँद,
बांद गढ़वाल की ..... बांद पहाड़ा की .....

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – १९-०९-२०१४, (इंदिरापुरम)

Monday, September 15, 2014

गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत

फ्योली सी मुखुड़ी तेरी दमकणी,
नाका की नथुली भली सजणी..
धवल ह्युं जनि दांतुड़ी चमकणी,
डांड्यू आंछिरी सी स्वाणी लगणी..

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – १३-०९-२०१४ (इन्दिरापुरम)

Tuesday, September 2, 2014

गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत

छोड़ी की ईं दुन्यादारी थैं आज हम,
औ लठ्याली, माया कु घोळ बणोंला,
ईं माया बैरी दुन्या से चल दूर कखि,
स्वर्ग जनु सुंदर एक घर बणोंला।।

© अनूप सिंह रावत, दिनांक – 02-09-14
ग्वीन मल्ला, गढ़वाल (इंदिरापुरम)